अवाम की मांग को तरजीह दे रहे धामी
त्रिवेंद्र सरकार के फैसलों को पलटने में नहीं हिचक
मेडिकल पढ़ाई की फीस कर दी कम
गैरसैंण कमिश्नरी फाइलों में ही कैद
देवस्थानम् बोर्ड को भी किया खत्म
तीरथ ने भी पटले थे दो फैसले
देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार के समय में लिए गए तमाम फैसलों से अवाम में आक्रोश था। लेकिन त्रिवेंद्र अपनी जिद पर अड़े रहे। सीएम पुष्कर सिंह धामी अब अवाम की मांग को तरजीह दे रहे हैं और त्रिवेंद्र के फैसलों को पलटने में हिचक नहीं रहे हैं। इससे पहले तीरथ सिंह रावत ने भी इसी राह पर चल चुके हैं।
प्रचंड बहुमत वाली सरकार के सवा चार साल तक मुखिया रहे त्रिवेंद्र सिंह जिद के पक्के थे। कोई फैसला किया तो उस पर भारी विरोध के बाद भी डटे रहे। लेकिन त्रिवेंद्र के कथित विवादित और विरोध भरे फैसलों को जनता की भावनाओं के अनुसार पुष्कर पलट रहे हैं। त्रिवेंद्र ने बांड भरकर 50 हजार सालाना में होने वाली मेडिकल की पढ़ाई को खासा मंहगा कर दिया था। इससे गरीब लोग परेशान थे। पुष्कर ने फिर से पुरानी व्यवस्था को बहाल कर दिया और अब फिर से फीस 50 हजार सालाना हो गई है।
त्रिवेंद्र के गैरसैंण में कमिश्नरी के फैसले का कुमाऊं में खासा विरोध हुआ। भाजपा के सांसद और विधायक भी इसके विरोध में रहे। लेकिन त्रिवेंद्र ने किसी की न सुनी। पुष्कर सरकार ने इस फैसले को भी फाइलों में ही कैद कर दिया है। इस कमिश्नरी की दिशा में सरकार या सिस्टम एक कदम भी आगे नहीं बढ़ा। जाहिर है कि त्रिवेंद्र के इस फैसले पर भी कोई अमल नहीं होने वाला।
इसी तरह से देवस्थानम् बोर्ड पर त्रिवेंद्र अपनी जिद पर अड़े रहे। तीर्थ पुरोहितों के भारी विरोध का भी उन पर कोई असर नहीं पड़ा। संत समाज ने भी इसका विरोध किया। अब पुष्कर सिंह धामी ने इस मसले का भी कूटनीतिक हल निकाला है। पहले एक कमेटी बनाई और उसकी रिपोर्ट के आधार पर इसे बोर्ड को खत्म करने का फैसला ले लिया।
चुनावी माहौल में इस तरह के फैसले लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी एक तरफ जहां कांग्रेस ने मुद्दे छीन रहे हैं। वहीं दूसरी ओर अपनी पार्टी का सियासी संकट भी टाल रहे हैं।
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