तस्वीर का सच

समझिए, आखिर क्या है हाई रिस्क कॉंटेक्ट

काबीना मंत्री महाराज प्रकरण में कई सवालों का जवाब मिलना बाकी

क्या काबीना मंत्री ने सभी से छुपाई अपनी ट्रेवल हिस्ट्री

घर क्वांरटीन होने के बाद भी क्यों शामिल हुए कैबिनेट में

क्या बैठक के दौरान मास्क का किया गया था इस्तेमाल

जिला प्रशासन ने लो रिस्क कॉंटेक्ट का पत्र क्यों किया जारी

कांग्रेस कर रही काबीना मंत्री के खिलाफ एफआईआर की मांग

देहरादून। कोरोना मामले में हमलावर विपक्ष काबीना मंत्री सतपाल महाराज के खिलाफ एफआईआर की मांग कर रहा है। इस मामले में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मसलन, आखिर क्या है हाई रिस्ट कॉंटेक्ट की गाइड लाइन, क्या मंत्री ने छुपाई अपनी ट्रेवल हिस्ट्री और घर क्वारंटीन होने के बाद भी मंत्री मंत्री क्या बगैर मास्क के ही कैबिनेट बैठक में शामिल हो गए।

ये है केंद्र सरकार की गाइडलाइन

सबसे पहले बात केंद्र की ओर से जारी हाई रिस्ट कॉंटेक्ट गाइड लाइन की। संक्रमित व्यक्ति की सांस, खून, उल्टी, थूक, चेहरे या पेशाब के संपर्क में इसी श्रेणी में है। संक्रमित व्यक्ति के शरीर के सीधे संपर्क में आना, कपड़ों को छूना, संक्रमित द्वारा इस्तेमाम प्लेट आदि को साफ करना, संक्रमित व्यक्ति की वस्तुओं को छूना, संक्रमित व्यक्ति से एक मीटर की कम दूरी पर रहना (बगैर पीपीई किट के), एक ही वाहन में एक मीटर से कम दूरी बनाकर यात्रा करना भी हाई रिस्क है। अब ये महाराज या कैबिनेट के अन्य सदस्य ही बता सकते हैं कि बैठक के दौरान इनमें से क्या नहीं हुआ।

अब बात लो रिस्क की। इसमें कहा गया है कि एक ही कमरे में काम करना, रेल, बस, फ्लाइट में एक साथ यात्रा करना लो रिस्क है। बशर्तें हाई रिस्क की बातों का उल्लंघन न किया गया हो। अब सवाल यह है कि प्रशासन ने किस आधार पर पूरी कैबिनेट और अफसरों को लो रिस्क कॉंटेक्ट का प्रमाणपत्र जारी कर दिया।

इसके बाद भी कई अन्य सवाल भी अनुत्तरित हैं। बताया जा रहा है कि मंत्री ने दिल्ली तक की यात्रा की है। अगर ये सही है तो क्या उन्होंने अपनी ट्रेवल हिस्ट्री छुपाई और आरोग्य सेतु का इस्तेमाल नहीं किया। फिर 25 मई को जिला प्रशासन ने उनके घर को क्वारंटीन कर दिया था। इसके बाद भी महाराज कैबिनेट की बैठक में क्यों गए। प्रशासन भले ही यह कह रहा है कि आधा घर ही क्वारंटीन किया गया था। एक अहम सवाल यह भी है कि क्या महाराज समेत अन्य मंत्रियों ने बैठक के दौरान मास्क का इस्तेमाल किया था। इतना ही नहीं, महाराज ने साथी मंत्रियों और अफसरों को प्रसाद भी बांटा। जाहिर है कि इसे बांटने के लिए निश्चित तौर पर दोनों के बीच की दूरी एक मीटर से कम ही रही होगी।

कांग्रेस इन्हीं मुद्दों की बात करके महाराज के खिलाफ एफआईआऱ की बात कर रही है। कांग्रेस का तर्क है कि जब आम लोगों के खिलाफ तत्काल ही एफआईआर कराई जा रही है तो मंत्री के मामले में दोहरा मापदंड क्यों। अगर इस मामले में महाराज के स्तर से कोई चूक नहीं हुई है तो मुख्यमंत्री और मंत्री समेत बैठक में शामिल रहे आला अफसर क्यों घर में बैठ गए हैं।

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