बेटी को दी सियासी विरासत, अब हरदा और बेटे के बीच रोचक संवाद
बेटा ! वक्त ने समझाया तुम्हें येड़ाः हरदा
बेटे ने बाप को कुछ इस अंदाज में दिया जवाब
येड़ा का मतलब ‘जुनूनी’ है न कि ‘खिसका- आनंद
डटे रहो, बाप नहीं तो समय ही करेगा न्यायः हरदा
देहरादून। कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत ने एक तरह से अपनी सियासी विरासत बेटी अनुपमा को सौंप दी है। इससे उनके पुत्र आनंद रावत खासे आहत दिख रहे हैं। दोनों के बीच फेसबुक पर रोचक संवाद हो रहा है। आनंद ने लिखा कि मेरे पिता से मुझे येड़ा समझ लिया था। अब हरदा लिख रहे हैं कि ‘येड़ा’ मैंने नहीं समझा। ये तो वक्त ने समझा दिया था। अब आनंद सफाई दे रहे हैं कि येड़ा का मतलब ‘जुनूनी’ होता है न कि पागल (दिमागी रूप से खिसका हुआ)। सियासी गलियारों में चर्चा है कि बाप-बेटे के बीच का ये रोचक संवाद आगे भी जारी रह सकता है।
लंबे समय से यह चर्चा थी कि हरदा अपनी सियासी विरासत सौंपने के लिए किसे चुनने वाले हैं। 2022 के चुनाव में मौका उनके हाथ लगा तो हरदा ने बेटी अनुपमा को हरिद्वार ग्रामीण से विधायक बनवा दिया। इसके बाद से ही उनके पुत्र आनंद रावत खासे खफा बताए जा रहे हैं। 2012 से ही युवाओं के बीच पैठ बनाने की जुगत में लगे आनंद ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा कि मेरे पिता मुझे ‘येड़ा’ समझते हैं। यहां बता दें कि ‘येड़ा’ लफ्ज ‘मराठी’ है और इसका सामान्य तौर पर अर्थ ‘मानसिक तौर पर खिसका’ हुआ व्यक्ति होता है।
अब हरदा ने इस पर अपनी सफाई दी है। उन्होंने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि आनंद मैंने तुम्हें कभी ‘येड़ा’ नहीं समझा। वक्त ने मजबूरन समझा दिया। चाहे 2012 में लालकुआं हो या 2017 में जसपुर। मुझे गर्व है, तुमने नशे से लड़ने के लिए उत्तराखंड के परंपरागत खेलों को प्रचारित-प्रसारित किया। कितने युवा नेता हैं जो तुम्हारी तरह युवाओं तक “रोजगार अलर्ट” के लिए रोजगार समाचार पहुंचाते हैं। कितने नेता हैं जो लड़के और लड़कियों को सेना या पुलिस में भर्ती हो सके इस हेतु प्रारंभिक प्रशिक्षण की व्यवस्था करते हैं। तुम्हारी सोच पर मुझे गर्व है। आज जब सारी राजनीति हिंदू-मुसलमान हो गई है। रोजगार, महंगाई, सामाजिक समता व न्याय, शिक्षा व स्वास्थ्य जैसे प्रश्न खो गए हैं। मैंने रोजगार, शिक्षा को प्रथम लक्ष्य बनाकर काम किया। मैं ही खो गया। मैं रोजगार को केरल मॉडल पर लाया। तुलनात्मक रूप में सर्वाधिक तकनीकी संस्थान जिसमें नर्सिंग भी सम्मिलित हैं, हमारे कार्यकाल में खुले और सर्वाधिक भर्तियां हुई। आज शहर का मिजाज बदला हुआ है। परंतु तुमने बुनियादी सवाल और हम जैसे लोगों की कमजोरियों पर चोट की है। डटे रहो। बाप न सही-समय तुम जैसे लोगों के साथ न्याय करेगा।