एक्सक्लुसिव

आहिस्ता कदमों से हिंदुत्व की ओर बढ़ रही धामी सरकार

सरकार के तमाम अहम फैसले कर रहे इसका इशारा

सूबे में धर्मांतरण विरोधी कानून कर दिया है लागू

कॉमन सिविल कोड का ड्राफ्ट भी हो रहा है तैयार

जनसंख्या नियंत्रण कानून सरकार मान रही जरूरी

लैंड जेहाद से बनी मजारों से जेसीबी हो रही ध्वस्त

देहरादून। उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार आहिस्ता-आहिस्ता हिंदुत्व के मुद्दे पर आगे बढ़ती दिख रही है। सूबे में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू किया जा चुका है। कॉमन सिविल कोड लागू करने के सराकर प्रतिबद्ध है और इसका ड्राफ्ट तैयार हो रहा है। इस समय प्रदेशभऱ में मजार जिहाद के खिलाफ अभियान चल रहा है और अब तक चार सौ से अधिक अवैध मजारों को ध्वस्त किया जा चुका है। सरकार के इस अतिक्रमण विरोधी अभियान की जद में दो दर्जन के करीब मंदिर भी आए हैं। अब सरकार की ओर से जंनसख्या नियंत्रण कानून लाने की बात भी शुरू की जा चुकी है।

2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने मुस्लिम यूनिवर्सिटी को मुद्दा बनाया। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी चुनावी सभा में इसका जिक्र किया था। जब नतीजा सामने आय़ा तो भाजपा को 70 में 47 सीटों पर विजय हासिल हुई थी। उस वक्त सियासी गलियारों में चर्चा तेज रही थी कि मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम पर भाजपा को वोटों के ध्रुवीकरण में खासी सफलता मिली। शायद यही वजह रही कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में समान नागरिक संहिता (कॉमन सिविल कोड) लागू करने की बात शुरू कर दी।

अगले साल 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। उससे पहले भाजपा को निकाय चुनाव में भी उतरना है। शायद यही वजह है कि भाजपा सरकार आहिस्ता-आहिस्ता से हिंदुत्व के मुद्दों को आगे बढ़ा रही है। सरकार ने कॉमन सिविल कोड लागू करने का फैसला किया है। इसका ड्राफ्ट तैयार करने के लिए जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया जा चुका है। यह समिति तमाम स्थानों पर बैठकों का आयोजन करके लोगों के सुझाव ले रही है। एक बेहतर ड्राफ्ट तैयार करने के इऱादे से इस कमेटी का कार्यकाल 30 जून तक बढ़ाया जा चुका है। इस बारे में सरकार के हौंसले इस वजह से भी बुलंद हैं, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट भी कह चुका है कि राज्य सरकारों को इस तरह का कानून बनाने का अधिकार है। सरकार का कहना है कि कमेटी ड्राफ्ट तैयार कर रही है। कोशिश है कि विधानसभा के आने वाले सत्र में इस संहिता को सदन में पेश करके पारित कराके तत्काल ही लागू किया जाए। इसके लागू होने के बाद सूबे के सभी बाशिदों पर एक ही कानून लागू होगा।

भाजपा की धामी सरकार ने राज्य में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू कर दिया है। इसके लागू होने के बाद जबरन धर्मांतरण जैसी वारदातों को अंजाम देने वालों पर सख्त एक्शन लिया जा रहा है। सूबे में इस मामले में अब तक कई एफआईआर भी दर्ज हो चुकी हैं। राज्य में एक वर्ग विशेष की आबादी तेजी से बढ़ रही है। सरकार कह चुकी है कि इससे जनसंख्या का असंतुलन तेजी से बढ़ रहा है। इस पर नियंत्रण के लिए तय किया गया है कि बाहर से आने वालों को पुलिस वैरिफिकेशन कराया जा रहा है। अब यह भी तय कर लिया गया है कि हर किसी को राज्य में जमीन खरीदने की अनुमति नहीं होगी। जमीन खरीदने से पहले उसके प्रस्ताव का परीक्षण कराया जाए। ताकि ये साफ हो सके कि जमीन खरीदने के पीछे संबंधित व्यक्ति का मकसद क्या है।

धामी सरकार यहीं पर रुकती नहीं दिख रही है। सरकार का कहना है कि अब जल्द ही सूबे में जनसंख्या नियंत्रण कानून को भी लागू किया जाएगा। जनसंख्या असंतुलन का अतिक्रमण ही मुख्य कारण माना जा रहा है। चार मैदानी जिले जो यूपी की सीमा से जुड़े हैं, वहां ये समस्या बहुत अधिक हो गई है और ये समस्या पहाड़ी जिलों की तरफ भी बढ़ रही है। इस दिशा में सरकार तेजी से काम करती दिख रही है। सीएम पुष्कर सिंह धामी भी इस बारे में कई बार साफ कह चुके हैं कि उत्तराखंड में अब जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू करने की जरूरत महसूस हो रही है और सरकार इसे किसी भी दशा में लागू करने को कृतसंकल्पित है। सरकार की इस मंशा को भी हिंदुत्व के एजेंडे को बढ़ावा देने के रूप में ही देखा जा रहा है।

उत्तराखंड में पिछले एक माह से लैंड जिहाद या यूं कहे कि मजार जेहाद का मुद्दा छाया हुआ है। अचानक ही सूबे में वन क्षेत्रों और अन्य सरकारी जमीनों पर मजारों के मुद्धा उठ खड़ा हुआ। यह मामला मीडिया की सुर्खियों में आया तो सरकार का भी इस ओर ध्यान गया। सरकार की तरफ ने वन और राजस्व महकमों के अफसरान को निर्देश दिया गया कि ऐसे अवैध स्थानों को चिंह्ति किया जाए। सेटेलाइट से मैपिंग कराई गई तो पता चला कि सूबे में एक हजार से ज्यादा इस तरह की मजारों को निर्माण किया गया। एक चौंकाने वाली बात यह भी सामने आई कि ये मजारें न केवल सूदूर पर्वतीय अंचलों में बनाईं गईं। बल्कि जिम कार्बेट नेशनल पार्क, टाइगर रिजर्व, आऱक्षित वन जैसे प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी इनका निर्माण किया गया था। जिम कार्बेट पार्क में तो एक अवैध कब्रिस्तान के लिए स्थान चिंह्ति कर लिया गया था। टिहरी, पौड़ी उत्तरकाशी जैसे सुदूर पहाड़ी इलाकों में भी जिहाद के तहत जेहादियों ने मजारें बना दीं। स्कूलों और पुलिस थानों में सरकारी परिसरो में भी ये मजारे बना दीं गईं।

सरकार ने इस बारे में तैयार की गई रिपोर्ट को खासी गंभीरता ने लिया और इस तरह के सभी अवैध निर्माण ध्वस्त करने का आदेश दिया। सरकार के आदेश पर इन अवैध निर्माणों पर जेसीबी चलाई गई। अब तक राज्यभर में लगभग चार सौ से ज्यादा अवैध मजारों को ध्वस्त किया जा चुका है। इस ध्वस्तीकरण अभियान में एक चौंकाने वाली बात ये सामने आई कि किसी भी मजार के नीचे कोई भी अवशेष नहीं पाए गए। सरकार का मानना है कि उत्तराखंड में लैंड जिहाद के खिलाफ प्रहार जरूरी हो गया है। सरकार इसके खिलाफ एक सख्त कानून लाने जा रही है। देवभूमि का सनातन स्वरूप है और यही यहां की संस्कृति है। सरकार का कहना है कि यहां किसी पीर की नहीं बल्कि सीमेंट की पूजा करवाने का धंधा चल रहा था।ये अभियान तब तक जारी रहेगा  जब तक आखिरी अवैध मजार नही टूट जाती। शासन और प्रशासन कैसे सोया रहा? इसकी भी जांच पड़ताल करवा रहे है कि किस-किस अफसर के कार्यकाल में ये मजारें बनाईं गईं। सरकार के इस अतिक्रमण विरोधी अभियान की जद में दो दर्जन के करीब मंदिर भी आए हैं।

सरकार ने जब अवैध निर्माण का सर्वे कराया तो पाया गया कि लैंड जिहाद के तहत राज्य की 23 नदियों के किनारे वन भूमि नदी श्रेणी की भूमि पर अवैध रूप से बड़ी भारी संख्या में लोगो ने कब्जे किए हुए हैं। अब इन्हें भी हटाया जा रहा है। विकासनगर क्षेत्र में तो एक बस्ती को पूरी तरह से साफ कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि हमने ड्रोन से सर्वे करवा लिया है। अब इनको हटाने सकी प्रशासनिक तैयारी चल रही है। हम ऐसा कानून भी लाने जा रहे है जो भी सरकार की जमीन पर कब्जे करेगा उसे सजा होगी जेल जायेगा ,उस पर गैंगस्टर  और रासुका जैसे कठोर कानून लगाए जाएंगे। सरकार की जमीन पर अवैध रूप से बैठे कब्जेदारो को कह दिया है कि वो खुद ही कब्जा छोड़ दे नही तो उन्हे ही पछताना पड़ेगा। उत्तराखंड में लैंड जिहाद करने वाले तत्वों को यहां से बाहर खदेड़ना होगा और इसके लिए मैं स्वयं संकल्प ले चुका हूं,इस देवभूमि का सनातन स्वरूप बनाए रखने का पहला दायित्व मेरा खुद का है।

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