उत्तराखंड

SDC फाउंडेशन ने मार्च 2024 की उत्तराखंड मासिक आपदा एवं दुर्घटना रिपोर्ट की जारी

एसडीसी फाउंडेशन ने मार्च 2024 की उत्तराखंड मासिक आपदा एवं दुर्घटना रिपोर्ट जारी की

उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) रिपोर्ट में जंगलों में आग, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में देरी और ग्लेशियल झीलों के खतरे की तरफ इशारा

देहरादून : देहरादून स्थित एनवायरनमेंटल एक्शन एंड एडवोकेसी समूह, एसडीसी फाउंडेशन ने अपनी मार्च 2024 की आपदा एवं दुर्घटना रिपोर्ट उत्तराखंड डिजास्टर एंड एक्सीडेंट एनालिसिस इनिशिएटिव (उदय) जारी कर दी है। इस बार रिपोर्ट में जंगलों में आग, ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन में आ रही रुकावटों, जागेश्वर में सड़क चौड़ी करने के लिए एक हजार पेड़ काटे जाने, सिल्याण में भूस्खलन और ग्लेशियल झीलों के खतरे को प्रमुखता से जगह दी गई है।

खतरे की झीलें

हिमालयी क्षेत्र की पांच खतरनाक ग्लेशियल झीलों की जांच के लिए दो विशेषज्ञ समितियों का गठन किये जाने का उदय रिपोर्ट में जिक्र किया गया है। ये झीलें भविष्य में विस्फोटक स्थिति पैदा कर सकती हैं। केन्द्रीय गृह मंत्रालय के तहत कार्य करने वाले राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने उत्तराखंड में 13 ऐसी हिमनद झीलों की पहचान की है, जो बाढ़ का कारण बन सकती है। खतरे के लिहाज से इन झीलों को तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है। प्राधिकरण उच्च जोखिम वाली ए श्रेणी की पांच झीलों की जांच करवा रहा है।

जंगलों में आग

उदय की रिपोर्ट में मार्च के महीने में उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की घटनाएं बढ़़ने की बात कही गई है। रिपोर्ट कहती है कि गोपेश्वर, उत्तरकाशी, केदारनाथ सहित उत्तराखंड के विभिन्न क्षेत्रों में जंगल आग के चपेट में आये हैं। गर्मी के सीजन में यह आग बड़ा नुकसान कर सकती है। शुष्क मौसम पराली जलाने के कारण इस तरह की घटनाओं में बढ़ोत्तरी हुई है। रिपोर्ट यह भी कहती है कि ज्यादातर अधिकारी और कर्मचारी चुनाव ड्यूटी पर हैं, ऐसे में जंगलों की आग बुझाने में समस्या आ सकती है। रिपोर्ट में जंगलों को आग से बचाने के लिए स्टाफ बढ़ाने और संसाधनों की कमी दूर करने जैसे काम तत्काल करने की जरूरत है।

रेल लाइन में देरी

रिपोर्ट कहती है कि अप्रत्याशित भूसंरचना के कारण ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन के निर्माण में दो साल और लग सकते हैं। रेल विकास निगम के अधिकारी इसकी वजह हिमालयी क्षेत्र की अप्रत्याशित भूसंरचना को बता रहे हैं। 125 किमी लंबी इस सड़क की सुरंगें दिसंबर 2025 तक पूरी होने की उम्मीद जताई जा रही है। इस रेल लाइन को उत्तराखंड के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

देवदार बचाओ आंदोलन

मार्च के महीने में जागेश्वर में देवदार के पेड़ काटे जाने का मामला काफी गर्म रहा। यहां सड़क चौड़ी करने के लिए देवदार के 1000 पेड़ काटे जाने जाने का फैसला किया गया है। इस फैसले के खिलाफ स्थानीय नागरिकों द्वारा किये गये आंदोलन को उदय की रिपोर्ट में जगह दी गई है। इन पेड़ों को काटे जाने को लेकर देशभर में चर्चा हुई थी। स्थानीय लोगों ने पेड़ काटे जाने के खिलाफ आंदोलन भी किया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक हजार देवदार के पेड़ काटे जाने से न सिर्फ पारिस्थितिकी को नुकसान होगा, बल्कि ये पेड़ लोगों की धार्मिक भावना से भी जुड़े हुए हैं, इस वन को दारुक वन कहा जाता है और लोगों की आस्था इस जंगल से जुड़ी हुई है।

सिल्याण में भूस्खलन

उत्तरकाशी जिले के सिल्याण गांव में जसपुर-निराकोट सड़क के लिए निर्माण के दौरान हुए भूस्खलन को उदय की रिपोर्ट में शामिल किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार इस सड़क की कटिंग के कारण सिल्याण गांव में भूस्खलन हो रहा है और पांच घर खतरे की जद में आ गये हैं। भारी बारिश के कारण एक गौशाला की छत नीचे लटक गई है। गांव के जितेंद्र गुसाईं ने के अनुसार पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को शिकायत भेजी जा चुकी है। विभाग ने गांव का दौरा करके जरूरी कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

उदय रिपोर्ट, उत्तराखंड और आपदा प्रबंधन

अनूप नौटियाल ने कहा की उत्तराखंड को अपने आपदा प्रबंधन तंत्र और क्लाइमेट एक्शन की कमज़ोर कड़ियों को मजबूत करने की सख्त ज़रूरत है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उत्तराखंड उदय मासिक रिपोर्ट उत्तराखंड के राजनीतिज्ञों, नीति निर्माताओं और अन्य हितधारकों के लिए सहायक होगी। साथ ही आपदाओं से होने वाले नुकसान के न्यूनीकरण के लिए नीतियां बनाते समय भी संभवत इसका इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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