मंत्री और सरकार के बीच शीत युद्ध तेज होने के आसार
सचिव दयमंत्री को हटाया, मंत्री की नाराजगी की नहीं चिंता
एक पीसीएस अफसर को बनाया नया सचिव
मंत्री की बेहद करीबी थी निवर्तमान सचिव
देहरादून। उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड से आखिरकार श्रम मंत्री की करीबी दयमंती रावत की सोमवार को विदाई कर ही दी गई। इस मामले में सरकार ने काबीना मंत्री हरक सिंह रावत की न तो नाराजगी की परवाह की और न ही उनकी चेतावनी की। इस मामले में अब श्रम मंत्री और सरकार के बीच शीत युद्ध और तेज होने के आसार बनते दिख रहे हैं।
उत्तराखंड भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड अध्यक्ष के पद पर श्रम मंत्री रावत खुद ही काबिज थे। इसी तरह से इस बोर्ड में सचिव पद पर मंत्री की नजदीकी दयमंती रावत काबिज थी। पिछले दिनों इस बोर्ड ने करोड़ों रुपये की खरीद की है। इसके बाद से ही यह बोर्ड खासी चर्चा में है। श्रम मंत्री ने बोर्ड अध्यक्ष का कार्य़काल एक साल और बढ़ाने का प्रस्ताव सरकार को दिया था। लेकिन सरकार ने ऐसा करने की वजाय भाजपा नेता सत्याल को इस पर आसीन कर दिया।
सरकार के इस फैसले से हरक सिंह रावत खासे नाराज हुए। लेकिन चुप्पी नहीं तोड़ी। सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनकी भेंट भी हुई। इस भेंट के दो रोज बाद मंत्री जी बोले, अध्यक्ष को उसके पद से कोई सचिव ही नहीं, मुख्यमंत्री भी नहीं हटा सकते। रावत यहीं पर नहीं थमे। उन्होंने यह भी कहा कि सचिव दयमंती रावत को भी कोई नहीं हटा सकता। लेकिन सोमवार को उनकी यह गलतफहमी दूर हो गई। अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की ओर से जारी एक आदेश में पीसीएस अफसर दीप्ति सिंह (वर्तमान में श्रमायुक्त) को बोर्ड में सचिव पद का अतिरिक्त प्रभार दे दिया। इस आदेश के साथ ही दयमंती की बोर्ड सचिव पद से विदाई हो गई।
इस मामले में श्रम मंत्री रावत की कोई प्रतिक्रिया तो नहीं मिल सकी। लेकिन सियासी गलियारों में चर्चा है कि अध्यक्ष और सचिव पर छीने जाने के बाद मंत्री और सरकार के बीच शीतयुद्ध और तेज हो सकता है। वैसे भी नए अध्यक्ष ने करोड़ों की भुगतान वाली पत्रावलियों की तलाश शुरू करा दी है और बैंकों को भी आगाह कर दिया है कि फिलहाल किसी का भी भुगतान न किया जाए
तो हाईकमान से मिली है हरी झंडी
सरकार ने जिस अंदाज में श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की बातों को नजरअंदाज करना शुरू कर दिया है, वह इस बात का इशारा कर रहा है कि इस प्रकरण पर सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत को हाईकमान से हरी झंडी मिल चुकी है। हरक की गिनती सूबे के कद्दावर नेता और वरिष्ठ मंत्रियों में होती है। इसके बाद भी उन पर इस तरह का हमला इस बात का इशारा कर रहा है कि हाईकमान तक कुछ गंभीर मामले पहुंचे हैं।