कोरोनाः कुंभ पर केंद्र को भी गुमराह कर रहे अफसर !

एक एनजीओ से खोल दी राज्य के सरकारी दावों की पोल
केंद्रीय टीम को बताया हरिद्वार में 55 हजार टेस्ट रोजाना
हकीकत में टेस्ट का आंकड़ा पांच हजार रोजाना से कम
देहरादून। एक तरफ देश में कोरोना महामारी की दूसरी लहर अपना असर दिखा रही है तो उत्तराखंड की अफसरशाही अपने अंदाज में है। आलम ये है कि कुंभ को लेकर जांच को आई टीम को बता दिया गया कि हरिद्वार जिले में रोजाना 55 हजार सैंपल्स की जांच की जा रही है। एक तरफ तो केंद्र ने इस नाकाफी बताया तो एक एनजीओ ने अफसरों के इस दावे की पोल खोलते हुए साबित किया कि हरिद्वार में अधिकतम पांच हजार ही टेस्ट हो रहे हैं।
ये उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी भी गजब ही है। हरिद्वार में कुंभ को लेकर अरबों रुपये ऐसे कामों पर खर्च कर दिए गए जिनकी जरूरत ही नहीं थी। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत कहते रहे कि कुंभ सीमित होगा और अफसर पैसा फूंकते रहे। नए सीएम तीऱथ सिंह आए तो उनके बयान के बाद अफसरों के खर्च को पर लग गए। इस बीच केंद्र सरकार ने एक टीम हरिद्वार का जायजा लेने को भेजी। इस टीम ने सब कुछ देखा और परखा। अफसरों की ओर से दावा किया गया कि हरिद्वार में रोजाना 55000 हजार लोगों का कोरोना टेस्ट किया जा रहा है। इसमें से पांच हजार आरटीपीसी टेस्ट हैं। इस पर भी केंद्र ने ऐतराज जताते हुए मुख्य सचिव को खत लिखा कि ये कम है इसे और बढ़ाइये।

अब बात असल मुद्दे की। कोरोना हालात पर एक साल से रिसर्च कर रही संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने अफसरों के इस दावे की धज्जियां उड़ा दी है। कोरोना को लेकर जारी होने वाले सरकारी आंकड़ों के हवाले से अनूप ने ट्वीट किया है कि केंद्रीय टीम को बताया गया कि हरिद्वार में रोजाना 55 हजार टेस्ट हो रहे हैं। लेकिन सरकारी आंकड़े ही बता रहे हैं कि एक से 21 मार्च तक हरिद्वार में जो टेस्ट हुए हैं उनकी औसत रोजाना पांच हजार से भी कम है। इस अवधि में कुल 1.11.749 टेस्ट हुए हैं। फिर अफसर कैसे कह रहे हैं कि रोजाना 55 हजार टेस्ट हो रहे हैं। अगर संस्था के दावे पर भरोसा किया जाए तो सवाल ये खड़ा हो रहा है कि आखिरकार उत्तराखंड की अफसरशाही केंद्र सरकार को भी भ्रम में या यूं कहें कि गुमराह क्यों कर रही है। अगर इसी गुमराह रिपोर्ट की वजह से कुंभ के बाद कोरोना और तेजी से फैला तो इसका जिम्मेदार कौन होगा।