एक्सक्लुसिव

हरिद्वार कुंभ में कोरोना जांच शुरू से संदिग्ध

पॉजिटिवी दर बेहद कम होने पर भी मौने साधे रहे अफसर

अप्रैल में 12 जिलों की पॉजिटिवी दर रही 14.18 फीसदी

छह लाख जांच के बाद हरिद्वार में महज 2.89 फीसदी

इस फर्जीवाड़े की न्यायिक जांच की मांग हो रही तेज

हरिद्वार में कुंभ कोरोना जांच पर श्वेत पत्र हो जारी

देहरादून। हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना की जांच में फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। अहम बात यह भी है कि कुंभ के दौरान हरिद्वार जिले में पॉजीटिवी दर अप्रत्याशित रूप से कम रहने का मामला मीडिया में उछलता रहा और जांच पर शक जाहिर किया जाता रहा। सरकारी सिस्टम की ओर से जारी आंकड़ों की समीक्षा से यह साफ दिख रहा है। लेकिन मेला प्रशासन और स्वास्थ्य महकमे के अफसर मौन साधे रहे। अब फर्जीवाड़ा सामने आने पर जांच की बात की जा रही है।

हरिद्वार में कुंभ का आयोजन एक से तीस अप्रैल तक किया गया। कोरोना महामारी को देखते हुए नैनीताल हाईकोर्ट ने रोजाना 50 हजार टेस्ट करने का आदेश दिया। शासन और स्वास्थ महानिदेशालय की ओर से 22 निजी लैब को टेस्ट की मंजूरी दी गई। इसके ऐवज में 385 रुपये प्रति टेस्ट लैब को दिए गए। अब सामने आ रहा है कि निजी लैब ने केवल कागजों में ही टेस्ट कर लिए। हजारों लोग ऐसे लोग जो हरिद्वार आए ही नहीं उनकी नेगेटिव रिपोर्ट जारी करके खानापूर्ति की गई। अब तक सवा लाख से ज्यादा ऐसे मामले पकड़े जा चुके हैं। जांच पूरी होने पर यह आंकड़ा और भी ज्यादा होगा।

अहम बात यह भी है कि कुंभ के दौरान हरिद्वार में हो रही जांच पर पहले से ही संदेह किया जा रहा था। दरअसल, हरिद्वार में पॉजिटिवी दर अन्य जनपदों की तुलना में बेहद कम थी। यह मामला मीडिया में उछला और सामाजिक संस्था सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फॉउंडेशन ने इसका सोशल ऑडिट कराने की मांग भी की। लेकिन मेला प्रशासन, स्वास्थ्य महकमे के आला अफसर और स्वास्थ्य महानिदेशालय ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया।

सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटीज फॉउंडेशन की ओर से जारी आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि कुंभ के दौरान गड़बड़ी शुरुआत से ही की गई। इस संस्था के मुखिया अनूप नौटियाल कहते हैं कि कोरोना जांच के सरकारी आंकड़ों से साफ दिख रहा है कि हरिद्वार की पॉजिटिवी दर शुरू से कम रही। अनूप बताते हैं कि कुंभ के दौरान एक से तीस अप्रैल तक हरिद्वार जिले में कुल 6,00,291 टेस्ट किए गए। इनमें से महज 17,375 सैंपल ही पॉजिटिव रहे। इस लिहाज से यहां पॉजिटिविटी रेट मात्र 2.89 फीसदी ही रहा। इसके विपरीत उत्तराखंड के 12 अन्य जिलों में इसी अवधि में 4,42,432 टेस्ट किए गए। इनमें से 62,755 पॉजिटिव पाए। इन जिलों में पॉजिटिवी दर 14.18 फीसदी रही।

अनूप कहते हैं कि आलम यह रहा है कि कुंभ क्षेत्र का कोविड-19 जांच का डॉटा और उसके नतीजे सार्वजनिक डोमेन में साझा नहीं किए गए थे। राज्य के हेल्थ बुलेटिन में उत्तराखंड के 13 जिलों के मामलों, जांच, मौतों, रिकवर होने वालों और अन्य सूचनाओं को साझा किया जा रहा था। इस तरह से कुंभ मेला क्षेत्र की पूरी तस्वीर कभी भी उपलब्ध नहीं हो पाई। गौरतलब है कि कुंभ मेला क्षेत्र में देहरादून जिले का ऋषिकेश, टिहरी जिले का मुनि की रेती और पौड़ी जिले का स्वार्गश्रम क्षेत्र भी शामिल है।

अनूप कहते हैं कि जांच में सभी सरकारी लैब और सभी एजेंसिंयों को कवर करना चाहिए, जो उस दौरान काम कर रहे थे।  हरिद्वार में हुई इन कथित अनियमितताओं से पूरे उत्तराखंड का कोविड-19 डाटा संदेह के घेरे में आ गया है। मामले की न्यायिक जांच करवाकर सरकार को कुंभ मेले कोविड-19 की जांच पर एक श्वेत पत्र जारी करना चाहिए ।

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