ब्यूरोक्रेसी

भाजपा नेता रवींद्र ने गबन की जांच को भेजा रिमांइडर

आपदा प्रबंधन अफसरों पर गंभीर आरोप

सीएस को साक्ष्यों के साथ भेजी गई थी शिकायत

छह माह बाद भी जांच की दिशा में नहीं कोई काम

हाईकोर्ट में जनहित याचिका की भी दी है चेतावनी

देहरादून। उत्तराखंड भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता और वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी रवींद्र जुगरान ने मुख्य सचिव को भेजे एक रिमांइडर में आपदा प्रबंधन विभाग में गबन की जांच न होने पर रोष जताया है। भाजपा नेता ने कहा है कि साक्ष्यों के साथ शिकायत के बाद भी जांच न होने से अफसरों के हौंसले और बुलंद हो रहे हैं।

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता रवींद्र जुगरान

भाजपा नेता जुगरान ने अपने खत में लिखा है कि आपदा प्रबन्धन विभाग में दो संविदा कार्मिकों अधिशासी निदेशक पीयूष रौतेला और वित्त अधिकारी केएन पाण्डे ने DMMC के अकाउंट से बिना अनुमति के गैरविधिक आहरण कर 1.20 करोड़ से अधिक की धनराशी के गवन की साक्ष्यों सहित 20 जनवरी शिकायत को शिकायत की गई थी। बाद में 28 अप्रैल को प्रथम अनुस्मारक दिया गया। सात माह बीत जाने के बाद भी कोई भी विधिक कार्यवाही न होने पर द्वितीय अनुस्मारक दिया जा रहा है।

पत्र में कहा गया है कि रौतेला और पाण्डे के कार्यकाल में विभिन्न कार्यों हेतु सरकारी धन का गैरविधिक आहरण और समायोजन किया गया है इसलिये गबन की गयी कुल धनराशि 06 करोड रुपय से भी अधिक हो सकती है। इसलिये गबन की गयी धनराशी के सटीक आंकड़े प्राप्त करने के लिये DMMC के वर्ष 2006 से वर्ष 2020 तक के प्रत्येक वर्ष के आय व्यय व वित्तीय खर्चों की महालेखाकार उत्तराखण्ड कार्यालय से Special Audit/ जाँच कराये जाने तथा इस गबन में शासन के कौन कौन अधिकारी/कर्मचारी सम्मिलित रहे हैं और गबन की गयी धनराशी किन किन लोगों को बांटी गयी है इसकी जाँच पृथक से SIT से करवाई जाए।

आपदा प्रबन्धन विभाग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी CEO स्वयं मुख्य सचिव महोदय हैं, इसके बावजूद भी राज्य और जनता के धन के करोड़ों रुपय के गबन के इतने गंभीर प्रकरण पर 07 माह में भी आरोपियों पर कोई विधिक कार्यवाही न किये जाने से शासन की कार्यप्रणाली पर संदेह और प्रश्नचिन्ह उत्पन्न होते हैं। अगर इस मामले की जांच नहीं की जाती है तो हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की जाएगी।

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