विस बैकडोर भर्तीः थापर की पीआईएल पर हाईकोर्ट सख्त

2016 से पहले की नियुक्तियों पर मांगा जवाब
वो निरस्त तो इन पर मेहरबानी क्यों
देहरादून। विस में मनमानी नियुक्तियों के एकतरफा निरस्तीकरण के खिलाफ दाखिल जनहित याचिका पर हाईकोर्ट से जवाब मांगा है। इसके लिए वक्त देने के साथ ही एक मई की तारीख अगली सुनवाई के लिए तय की गई है।
विधानसभा बैकडोर भर्ती में भ्रष्टाचार व अनियमितता मामला प्रकाश में आने पर एक जाँच समीति बनाकर 2016 के बाद की भर्तियों को निरस्त कर दिया। लेकिन 2000 में राज्य बनने से बाद पर अनदेखी की गई। इस पर भर्ती में भ्रष्टाचार से नौकरियों को लगाने वाले ताकतवर लोगों के खिलाफ हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच कराने और सरकारी धन की रिकवरी के लिए सामाजिक कार्यकर्ता अभिनव थापर ने ने अपनी जनहित याचिका में सरकार के 2003 शासनादेश जिसमें तदर्थ नियुक्ति पर रोक, संविधान की आर्टिकल 14, 16 व 187 का उल्लंघन, उत्तर प्रदेश विधानसभा की 1974 व उत्तराखंड विधानसभा की 2011 नियमवलयों का जिक्र किया।
इस याचिका में मांग की गई है की राज्य निर्माण के वर्ष 2000 से 2022 तक समस्त नियुक्तियों की जाँच हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में की जाए और भ्रष्टाचारियों से सरकारी धन के लूट को वसूला जाय। जनहित याचिका के माननीय हाईकोर्ट के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने बताया कि हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश युक्त पीठ ने इस याचिका के विधानसभा बैकडोर नियुक्तियों में हुई अनियमितता व भ्रष्टाचार का संज्ञान ले लिया है और सरकार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।