तो क्या महज ‘जुमला’ था ‘जीरो टॉलरेंस’ का नारा ?
जिला प्राधिकरणों के अफसर मना रहे थे मौजः सीएम तीरथ
सहकारी बैंक में भर्ती प्रक्रिया पर भी रोक
राज्यमंत्री ने की थी गड़बड़ी की शिकायत
देहरादून। पिछले दिनों के कुछ घटनाक्रम पर नजर डालें तो सवाल खड़ा हो रहा है कि क्या त्रिवेंद्र सरकार का ‘जीरो टॉलरेंस’ का नारा महज एक ‘जुमला’ ही था। इसे इस तथ्य के प्रकाश में देखें कि सीएम तीरथ सिंह रावत ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि विकास प्राधिकरणों के जेई और एई मौज काट रहे थे। इतना ही एक राज्यमंत्री की शिकायत पर सरकार ने सहकारी बैंकों में चल रही भर्ती पर रोक लगा दी है।
2017 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के साथ ही भ्रष्टाचार पर ‘जीरो टॉलरेंस’ का नारा दिया था। चार साल तक यह नारा प्रदेशभर में गूंजता रहा। सरकारी विज्ञापनों में भी इसका जमकर प्रचार किया गया। त्रिवेंद्र सरकार के चार सालाना जश्न की जो तैयारी की गई थी, उसमें भी इस नारे का खूब उपयोग करने की तैयारी थी।
अब निजाम बदल गया है और मुख्यमंत्री का दायित्व तीरथ सिंह रावत संभाल रहे हैं। पिछले दो दिन में कुछ ऐसे मामले मीडिया की सुर्खियां बने, जो कि ‘जीरो टॉलरेंस’ के दावे पर सवाल खड़ा कर रहे हैं। सीएम तीरथ ने सत्ता संभालने के बाद अपनी मंत्रिपरिषद की पहली ही कैबिनेट जिला विकास प्राधिकरणों को भंग करने की बात की। विगत दिवस प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित स्वागत समारोह में सीएम ने इन प्राधिकरणों को भंग करने की वजह का भी सार्वजनिक तौर पर खुलासा किया।
सीएम तीरथ ने कहा कि ‘मैंने जिला विकास प्राधिकरणों पर रोक लगा दी है। इन प्राधिकरणों में तदर्थ नौकरी पर लगे जेई और एई मौज में लग गए थे। ये माल उड़ाए जा रहे थे। इनके तो प्लाट और कोठियां खड़ी हो गईं और जनता परेशान हो रही थी। ये प्राधिकरण जनता के लिए नहीं, अफसरों का पेट भरने के लिए बनाए गए थे। लिहाजा इन्हें खत्म कर दिया गया’।
इसके अलावा सरकार ने जिला सहकारी बैंकों में हो रही भर्तियों पर भी रोक लगा दी। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) स्वामी यतीश्वरानंद औऱ विधायक सुरेश राठौर ने जिला सहकारी बैंकों में हो रही भर्तियों में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप लगाते हुए सीएम को एक खत दिया था। इन बैंकों में गार्ड और चपरासी के लगभग 400 पदों पर भर्ती होनी थी। सरकार के निर्देश में सहकारिता विभाग के निबंधक ने इन सभी भर्तियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।
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