संविधान की मंशा के प्रतिकूल हैं भगतदा का खत !

बतौर राज्यपाल अपनी सरकार को लिखे खत के मजमून पर सवाल
संविधान की प्रस्तावना में ही सेक्युलर लफ्ज़
कोश्यारी ने इसी लफ्ज़ पर ही कसा है तंज
नई दिल्ली। देवेंद्र फणनवीस को अल सुबह महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाकर सुर्खियों में आए राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी इस मर्तबा अपने एक खत के मजमून को लेकर चर्चा में आ गए हैं। कहा जा रहा है कि भगतदा ने अपने इस खत में सेक्युलर (धर्मनिरपेक्ष) लफ्ज़ जिस अंदाज में जिक्र किया है, वह भारतीय संविधान की मूल भावना के विपरीत है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भाजपा नेता भगत सिंह कोश्यारी फिलवक्त महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। महाराष्ट्र भाजपा वहां के मंदिरों को न खोल जाने को लेकर सरकार के खिलाफ मुखर है। ऐसे में राज्यपाल ने भी इस सियासी विवाद में एंट्री कर ली है। भगतदा ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक खत भेजा है। इसमें मंदिरों को न खोले जाने को लेकर भगतदा ने लिखा है कि जब बार खोले जा सकते हैं तो देवालय क्यों नहीं। यहां तक लिखना तो किसी हद तक जायज माना जा सकता है।
लेकिन भगतदा आगे लिखते हैं कि आप तो हिंदुत्व की पैरोकारी करते थे। अचानक सेक्युलर कैसे हो गए। बस यह तंज इस खत पर तमाम सवालात करता है। भारतीय संविधान की प्रस्तावना में ही लिखा है कि भारत एक सेक्युलर राज्य है। अहम बात यह भी है कि राज्यपाल का काम राज्यों में महज इतना देखना ही होता है कि सरकार संविधान के अनुसार चल रही है या नहीं। अगर महाराष्ट्र के सीएम पहले हिंदुत्व के लंबरदार थे और अब सेक्युलर हो गए हैं तो यह तो संविधान के लिहाज से और भी अच्छी बात है। इस पर भगतदा को फक्र होना चाहिए था कि उनकी सरकार का मुखिया अब किसी धर्म विशेष का बात करके सभी धर्मों को एक समान करता है। ऐसे में भगतदा को चाहिए था कि वे बदलाव के लिए उद्धव को बधाई देते। लेकिन संविधान की रक्षा के लिए राजभवन में बैठे भगतदा उद्धव के कट्टरवादी से सेक्युलर बनने पर तंज कस रहे हैं।
भगतदा का यह खत सोशल मीडिया में खासा वायरल हो रहा है। राजसत्ता एक्सप्रेस नाम के यू-ट्यूब न्यूज पोर्टल ने तो यहां तक कह दिया कि “अरे शर्म कर लो कोश्यारी ! जी अब राज्यपाल हो”।