43 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के क्षेत्र में पहली बार उपवास

43 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के क्षेत्र में पहली बार उपवास
दिल्ली की सूचि में नाम नहीं होने से नाराजगी
सरकार, शासन, जिला प्रशासन ने शिकायत भी नहीं सुनी
जांच नहीं हुई तो पीएम से करेंगे शिकायत
मुनस्यारी।
43 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मातृभूमि में 15 अगस्त को अपनी उपेक्षा से खफा नागरिकों ने उपवास रखकर अपना विरोध दर्ज किया।इसक लिए उत्तराखंड सरकार; शासन तथा जिला प्रशासन को दोषी ठहराया। कहा कि दिल्ली में होने वाले 15 अगस्त के कार्यक्रम में मुनस्यारी की महिलाओं का नाम नहीं भेजा गया। नाम नहीं भेजना सीमांत की महिलाओं का अपमान है।
15 अगस्त को दिल्ली में होने वाले स्वतंत्रता दिवस के कार्यक्रम में बाईब्रेंट विलेज की महिलाओं को आमंत्रित किया गया था। जिला स्तर से केवल एक विकासखंड की महिलाओं को ही नामित कर दिल्ली भेजा गया। इसकी जानकारी मिलते ही मुनस्यारी बचाओं संघर्ष समिति के संयोजक तथा पूर्व जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने 3 अगस्त को प्रदेश के मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव के साथ जिलाधिकारी को सूचि बनाने में किए गए अपमान तथा अन्याय पर ईमेल से पत्र भेजकर आपत्ति प्रकट कर दी थी। स्थानीय नागरिक इस आशा में थे, कि इस पत्र का संज्ञान लेकर सूची में बदलाव किया जाएगा और मुनस्यारी की महिलाओं को दिल्ली जाने का अवसर प्राप्त होगा। सरकार, शासन और जिला प्रशासन से मिली उपेक्षा के कारण शुक्रवार को क्षेत्र के दर्जनों गांवों में उपवास का कार्यक्रम रखा गया। देश-विदेश में रहने वाले विकासखंड के निवासियों ने भी उपवास के कार्यक्रम में बढ़ चढकर हिस्सा लिया।
उपवास करते हुए संयोजक जगत मर्तोलिया ने कहा कि जिस क्षेत्र ने स्वतंत्रता के आंदोलन में 43 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दिए। एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आजादी के आंदोलन में ही शहीद हो गया। पिथौरागढ़ में शहीद स्वतंत्रता संग्राम सेनानी केवल इसी विकासखंड से है।
उन्होंने कहा कि आजादी की आंदोलन में योगदान देने में कुमाऊं मंडल के सल्ट के बाद दूसरे नंबर पर आने वाले इस क्षेत्र की महिलाओं को दिल्ली जाने की सूची से अलग कर दिया गया। उन्होंने कहा कि सूची बनाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं हुई और भविष्य में इस प्रकार के अपमानजनक व्यवहार ना हो इसकी गारंटी नहीं मिलने पर इस आंदोलन को आगे भी जारी रखा जाएगा।
उन्होंने कहा कि मुनस्यारी की महिलाओं की अपेक्षा और अपमान को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।