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वक्फ संशोधन बिल से होगा अतिक्रमणकारियों व भू माफियाओं को लाभ

वक्फ संशोधन बिल से होगा अतिक्रमणकारियों व भू माफियाओं को लाभ

वक्फ अधिकरण का निर्णय अंतिम होने का प्रावधान समाप्त करने से मुकदमेबाजी को मिलेगा बढ़ावा

विधि विशेषज्ञ नदीम ने जेपीसी को भेजे सुझाव में जताई आशंका

काशीपुर। केन्द्र सरकार द्वारा लोकसभा से प्रस्तुत, ज्वाइंट संसदीय समिति के समक्ष लम्बित वक्फ संशोधन विधेयक पास होने से अतिक्रमणकारियों व भू माफियाओं को लाभ होगा तथा इससे अल्पसंख्यकों के धार्मिक मामलों में प्रबंधन के मूल अधिकार सहित अनुच्छेद 25, 26, 28, 29 व 30 का हनन होगा। इससे मुकदमेंबाजी को बढ़ावा मिलेगा तथा हिन्दू व अन्य धर्मांे के धार्मिक कार्यों में गैर हिन्दुआंें को आरक्षण देने की मांग को बढ़ावा मिलेगा।

उक्त कथन 45 कानूनी पुस्तकों के लेखक व अनुभवी अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट ने संसदीय समिति को भेजे गये वक्फ (संशोधन) विधेयक को पारित होने योग्य न होना घोषित करने की मांग करते हुये किये है।

नदीम के अनुसार सभी पुराने वक्फ का पुनः रजिस्ट्रेशन के लिये छः माह के भीतर रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य करने तथा राजस्व अभिलेखों में वक्फ के रूप में दर्ज न होने या विवादित होने वाली सम्पत्तियों का रजिस्ट्रेशन न होने, इस्लाम धर्म का 5 वर्ष से कम समय से पालन करने वालों के वक्फ करने पर रोक लगाने, वक्फ में उत्तराधिकारियों के अधिकारों को समाप्त करने पर रोक लगाकर एक प्रकार के वक्फ का औचित्य ही समाप्त करने तथा परिसीमा अधिनियम के प्रावधान लागू करके पुराने अतिक्रमण की गयी वक्फ सम्पत्तियों में धर्मार्थ अधिकारों को समाप्त करने, सरकारी विभागों सरकारी निगमों, स्थानीय निकायों आदि द्वारा किये गये वक्फ सम्पत्तियों पर कब्जे को सरकारी सम्पत्ति घोषित करके उनको वक्फ सम्पत्ति से बाहर करने से वक्फ सम्पत्ति के अतिक्रमणकारियों को बढ़ावा व लाभ होगा। यह प्रभाव इस बिल से वक्फ अधिनियम की धारा 3, 4, 36, 52क में संशोधन तथा धारा 104, 107, 108, 108क का प्रावधान समाप्त करने का होगा।

नदीम ने स्पष्ट किया कि वर्तमान रूप से वक्फ संशोधन विधेयक कानून बनने से अतिक्रमित वक्फ सम्पत्तियों के सम्बन्धित अतिक्रमण कारी मालिक हो जायेंगे। छः माह में रजिस्ट्रेशन न करा पाने वाली वक्फ सम्पत्तियां तथा 12 साल से अधिक समय से अतिक्रमित वक्फ सम्पत्तियों तथा सरकार, स्थानीय निकायों या सरकार के नियंत्रण के अन्य निकायों के कब्जे की वक्फ सम्पत्तियां वक्फ सम्पत्तियां नहीं रह जायेगी और इनके वक्फ अधिकारों को लागू नहीं कराया जा सकेगा। इस प्रकार अतिक्रमणकारियों को लाभ होगा और धार्मिक सम्पत्तियों पर कब्जा करने वाले भू माफियाआंे को अवैध लाभ प्राप्त होगा।

वक्फ सम्पत्तियों जिसमें मस्जिद, मदरसें, मकबरे, कब्रिस्तान आदि धर्मार्थ कार्यों की सम्पत्तियां शामिल होती है, के प्रबन्धन इसके नियंत्रण को बने केन्द्रीय वक्फ परिषद तथा राज्य वक्फ बोर्डों में कम से कम दो सदस्यों के गैर मुस्लिम होने तथा का प्रावधान करके तथा वक्फ ट्रिब्युनल में मुस्लिम विधि के ज्ञाता के सदस्य होने इनमें गैर मुस्लिमों को आरक्षण दे दिया गया है। इसके अतिरिक्त वक्फ बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुस्लिम होने के प्रावधान को समाप्त कर दिया गया है। इससे जहां वक्फ की धमार्थ सम्पत्तियों का धर्मानुसार प्रबन्धन का मूल अधिकार का हनन होगा, वहीं हिन्दू मंदिर, मठों व अन्य सम्पत्तियों के प्रबधन में गैर हिन्दुओं को आरक्षण देने की मांग उठने लगेगी इससे नये विवादों को बढ़ावा मिलेगा। यह प्रभाव इस बिल से वक्फ अधिनियम की धारा 9, 11, 23, 32, 83 में संशोधन तथा धारा 20क का प्रावधान समाप्त करने का होगा।

वक्फ के मामले ट्रिब्युनल के निर्णय के बाद भी अन्य सामान्य दीवानी मामलों के समान न्यायालयों के विवादों में फंसे रहेेंगें क्योंकि बिल से धारा 6, 33, 52, 55क, 64, 67, 72 तथा 73 में संशोधन होने से वक्फ अधिकरण का निर्णय अंतिम नहीं रहेगा। इसके अतिरिक्त धारा 108क का

वक्फ अधिनियम का अधिभावी प्रभाव समाप्त करने से वक्फ सम्पत्ति के मामलों में कानूनी दांवपेंच बढ़ेंगे।

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