राजनीति

क्या ‘विधायक दल में टूट’ पर ही थमेगी उत्तराखंड कांग्रेस की ‘रार’ ?

तो अकेले पड़ गए हैं पूर्व अध्यक्ष प्रीतम सिंह !

पूर्व नेता प्रतिपक्ष ने दी हाईकमान को ‘नसीहत’

गूंज रहा है गढ़वाल मंडल की उपेक्षा का मामला

टिकट के बाद अब ‘पद बेचने’ का लगाया आरोप

देहरादून। एक तरफ कांग्रेस हाईकमान अभी तक करारी हार के सदमे से उबर नहीं पा रहा है तो दूसरी उत्तराखंड के नेताओं की आपसी रार खुलकर सामने आ रही और वर्चस्व की जंग जारी है। मौजूदा हालात में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अकेले पड़ते दिख रहे हैं। आलम यह है क प्रीतम ने हाईकमान को ही नसीहत दे डाली है। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि क्या कांग्रेस की यह रार विधायक दल में टूट पर ही खत्म होगी।

विस चुनाव में करारी हार से भी उत्तराखंड के कांग्रेसी दिग्गजों ने कोई सबक नहीं लिया है। धड़ों में बंटी कांग्रेस के नेताओं को पार्टी की नहीं, बल्कि अपने खुद के वजूद की ज्यादा चिंता है। हालात को भांपकर हाईकमान ने नए प्रदेश अध्यक्ष के साथ ही नेता प्रतिपक्ष और उप नेता प्रतिपक्ष के नामों का एलान कर दिया है।

इसके बाद से घमासान और तेज हो गया है। नए प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा, उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी सीधे तौर पर हरीश रावत गुट के माने जाते हैं। नेता प्रतिपक्ष य़शपाल आर्य सीधे तौर पर तो किसी गुट के साथ नहीं दिखाई दे रहे हैं। पर माना जा रहा है कि अंदरखाने वो भी इसी खेमे का साथ दे रहे हैं। ऐसे में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह अकेले से पड़ गए हैं।

प्रीतम को उम्मीद थी कि नेता प्रतिपक्ष का पद उन्हें ही मिलेगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उन्होंने मीडिया से बातचीत में यहां तक कह दिया कि राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) वेगुगोपाल और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव का उन पर हार का दोषारोपण करना गलत है। अगर ये बात कोई साबित कर दे तो वे विधायकी से इस्तीफा दे सकते हैं। विगत दिवस सचिवालय गेट पर सहकारिता में भर्ती में गड़बड़ी के विरोध में हुए धरने में भी प्रीतम ने शिरकत नहीं की।

प्रीतम खेमे के माने वाले एक नेता गिरीश चंद्र ने मनोनयन के बाद एक गंभीर ट्वीट किया है। इसमें उन्होंने लिखा है कि पहले पैसों की हवस में उत्तराखंड चुनाव में कांग्रेस की जिताऊ सीटों पर टिकटें बेंची गई। और अब नेता प्रतिपक्ष का पद भी बेच दिया गया है। राहुल गांधी इसका संज्ञान लें।

जाहिर है कि कांग्रेस दिग्गजों की यह रार फिलहाल थमती नहीं दिख रही है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि कहीं ऐसा न हो कि इस रार की वजह से कांग्रेस विधायक दल में ही टूट हो जाए।

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