‘रोशन’ हो रही ‘दीपक’ की दो साल की ‘मेहनत’
पिता चीमा की एंटी इंकम्बेसी के सवाल झेल रहे त्रिलोक
फिलहाल ‘पहचान’ बनाने की कोशिश में नरेंद्र
आप और भाजपा के बीच ही सिमटा मुकाबला
देहरादून। ऊधमसिंह नगर जिले की काशीपुर सीट पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प दौर में हैं। फिलवक्त भाजपा प्रत्याशी त्रिलोक सिंह चीमा अपने पिता की 20 सालों की एंटी इंकम्बेसी के सवालात झेल रहे हैं तो कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र चंद सिंह के सामने अभी अपनी खुद की पहचान बनाने की चुनौती है। दूसरी ओर आप प्रत्याशी दीपक बाली अपनी पिछले दो साल की मेहनत की दम पर जनसमर्थन हासिल करते दिख रहे हैं। इन हालात में चुनावी मुकाबला बाली और चीमा के बीच माना जा रहा है।
काशीपुर सीट से भाजपा ने त्रिलोक को टिकट दिया है। पिछले बीस सालों से उनके पिता हरभजन सिंह चीमा इसी सीट से विधायक हैं। सोशल मीडिया के इस दौर में त्रिलोक को जनता के सवालों से जूझना पड़ रहा है। लोग सोशल मीडिया में बिजली, सड़क, सफाई, अस्पताल और जलभराव पर सवाल पूछ रहे हैं कि 20 सालों में उनके पिता के क्या किया। भाजपा के सामने अपने कई अहम नेताओं की चुनावी खामोशी का सवाल भी मुंह बाए खड़ा है।
कांग्रेस प्रत्याशी नरेंद्र चंद सिंह के सामने पहचान का संकट है। उनके पिता केसी सिंह बाबा सांसद औऱ विधायक रहे हैं। लेकिन जनता ने इस चुनाव से पहले नरेंद्र चंद को शायद ही कभी देखा हो। ऐसे में उनके प्रचार में लगे कांग्रेसियों को मतदाताओं को यह बताना पड़ा रहा है कि यही नरेंद्र चंद सिंह हैं। पहचान के संकट से जूझ रहे नरेंद्र ने अब अपने नाम के आगे अपने पिता की पहचान वाला ‘बाबा’ नाम भी जोड़ लिया है।
इस चुनाव को त्रिकोणीय बना चुके आप प्रत्याशी के दीपक बाली के सामने न तो पहचान का संकट है और न ही किसी तरह की कोई एंटी इंकम्बेसी है। दीपक पिछले दो सालों से क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। अपने समाजसेवा के कामों और भ्रष्टाचार के खुलासों को लेकर दीपक खासी चर्चा में रहे हैं। अहम बात यह भी है कि एक तरफ जहां कांग्रेस और भाजपा के नेता टिकट का इंतजार कर रहे थे तो बाली विस क्षेत्र के हर बूथ तक अपनी टीम तैयार चुके थे। उन्हें मिल रहा जनसमर्थन इस बात का संकेत दे रहा है कि उन्हें दो साल की मेहनत का सिला देने को जनता तैयार है।
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