किसी सांसद के सर शायद ही सजे ताज
गर बनाया सीएम तो फिर होगा संवैधानिक संकट
ब्राह्मण समाज को तरजीह मिलने की आस
यूपी में तो नहीं चल सका था ब्राह्मण कार्ड
देहरादून। सीएम तीरथ सिंह रावत के इस्तीफे के बाद अब कयास लगाए जा रहे हैं कि अब किसके सर सजेगा ताज। इसमें मंत्रियों के साथ ही सांसदों के नाम भी चल रहे हैं। लेकिन हालात इशारा कर रहे हैं कि किसी सांसद के हिस्से ये कुर्सी शायद ही आए। वजह यह है कि छह बाद फिर से संवैधानिक संकट खड़ा होगा। वैसे देखने वाली बात यह होगी कि यूपी में ब्राह्मण कार्ड खेलने में विफल रही भाजपा क्या इस देवभूमि से इस समाज को कोई संदेश देने की कोशिश करेगी।
एक- दो रोज में नए सीएम की शपथ हो जाएगी। अगर किसी सांसद को सीएम बनाया जाता है तो जनवरी-22 से पहले उसे विधायक बनना होगा। एक साल से कम समय के लिए उप चुनाव हो नहीं सकता। फिर आने वाले समय में कोविड क्या रंग दिखाएगा, कहा नहीं जा सकता। ऐसे में उप चुनाव की संभावना न के बराबर ही है। भाजपा अगर किसी सांसद को सीएम बनाती है तो वक्त से पहले चुनाव करवाना उसकी मजबूरी होगी।
इस होने वाले फेरबदल में एक बात यह भी देखने वाली होगी कि क्या भाजपा ब्राह्मण कार्ड खेलेगी। दरअसल, अगले माह की पहली तिमाही में यूपी, उत्तराखंड और हिमाचल समेत पांच राज्यों में चुनाव होने हैं। भाजपा की चिंता ब्राह्मण वर्ग की है। भाजपा ने एक ब्राह्मण और पूर्व आईएएस को यूपी सरकार में अहम ओहदा देने की तैयारी की थी। ताकि इस समाज को संदेश दिया जा सके। लेकिन भाजपा की मंशा पूरी नहीं हो सकी। लेकिन उत्तराखंड में एक ब्राह्मण नेता को प्रदेश अध्यक्ष जरूर बना दिया। अब हो सकता है कि यूपी के विभाजन से बने इस उत्तराखंड में किसी ब्राह्मण नेता की ताजपोशी करके उस कमी को पूरा किया जा सके। अगर ऐसा होता है तो काबीना मंत्री सुबोध उनियाल पर भाजपा दांव लगा सकती है। ऐसा होने पर भाजपा को नए प्रदेश अध्यक्ष की भी तलाश करनी होगी। सूत्रों का कहना है कि अगर मुख्यमंत्री का क्षत्रिय समाज के किसी मंत्री को बनाया जाएगा तो कैबिनेट में एक ब्राह्मण विधायक को शामिल किया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि ऐसे में भाजपा किच्छा सीट से कांग्रेस के सिटिंग सीएम को हराने वाले विधायक राजेश शुक्ला को कैबिनेट में ले सकती है। शुक्ला मूल रूप से यूपी के पूर्वांचल क्षेत्र के रहने वाले हैं। उनके परिवार के लोग अब भी वहीं रहते हैं। ऐसे में तराई के साथ ही पूर्वांचल के ब्राह्मणों को भी संदेश दिया जा सकता है कि भाजपा उनकी हितैषी है।