तस्वीर का सच

शौर्य गाथा में प्रणेष के चित्रों ने डाली जान

प्रज्ञा आर्ट्स के नए साल के कलैंडर में दिखेगी गौरव गाथा की झलक

देहरादून। शौर्य, स्वाभिमान, देशभक्ति और संतोष इन्हीं  गुणों से सराबोर है उत्तराखंड का अतीत, वर्तमान और यहां की  गौरव गाथाएं।  यही बात उत्तराखंड की नई पीढ़ी तक पहुंचाना शौर्य गाथा (उत्तराखंड की मिटटी की) प्रज्ञा आर्ट्स की परियोजना का मुख्य उद्देश्य है। इस परियोजना के तहत तैयार कलैंडर में उत्तराखंड के उभरते चित्रकार प्रणेष असवाल के चित्रों से जान सी डाल दी है।

दरअसल, प्रज्ञा आर्ट्स एक पंजीकृत थिएटर ग्रुप है और ये कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है। प्रज्ञा आर्ट्स संस्था रंगमंच लोगों को  आगे बढ़ाने के लिए सतत प्रयासरत है। प्रज्ञा आर्ट्स ने उत्तराखंड की मिट्टी,  कहानियां और समस्याओं पर कई नाटक किए। इन्होंने न केवल उत्तराखंड बल्कि दूसरी भाषाओं के लोगों के दिलों  पर भी अपनी छाप  छोड़ी। इनमें उत्तराखंड के  योद्धाओं की वीर गाथाओं को नाटक के जरिये, कहानियों के रूप में, वार्ताओं के द्वारा लोगों तक पहुंचाने का का किया गया। आज की हमारी  नई  पीढ़ी के पास शिकायतें तो हैं  लेकिन इन्हें दूर करने के लिए जज़्बा  नहीं है। इसलिए उन्हेँ  जानना होगा की वो किनके वंशज है। उन्हें पता होना चाहिए की  उनका इतिहास कितना वीरता से, कुर्बानियों से भरा हुआ है, वो किस मिटटी मैं पैदा हुए है, उनके अंदर  किन वीरों का  लहू दौड़ रहा है उन्हें अपने पूर्वजों पर अभिमान  होना चाहिए। अपने पूर्वजों का जिक्र सुनकर उनकी आंखों में भी  चमक दिखनी चाहिए।  जीतू बगड्वाल एवं तीलू रौतेली इसी  परियोजना के तहत किये गए नाटक है। तीलू रौतेली  नाटक को  भारतेन्दु नाट्य महोत्सव, साहित्य कला  अकादमी, दिल्ली सरकार  ने 2018 के बेहतरीन नाटकों की श्रृंखला में जोड़ा।

लक्ष्मी रावत

लक्ष्मी रावत कहती है कि यहीं सोचा गया कि शौर्य गाथा परियोजना में नाटक के साथ ही कुछ और भी किया जाए। इसके बाद ही एक कलेंडर  बनाने का विचार बना। इस कलेंडर  में भी  अपने वीर-भड़ों  को एक मंचीय  परिवेश में दिखाया है। सभी वीरों की कहानी दी,  फिर लगा अगर सबकुछ लिख देंगे तो सब पढ़ कर भूल जायेंगे।  सिर्फ उतना लिखते हैं जो मन में अधिक जानने  की, अधिक पढ़ने की जिज्ञासा पैदा करे । और जब खुद से कोई पढ़ना और जानना चाहेगा  तो खोजेगा, पूछेगा और ढूंढेगा। यही हमारा उद्देश्य है इस कैलेंडर  को बनाने का ।  अंतिम पेज में उत्तराखंड के त्योहारों  और मेलों के बारे में भी थोड़ी जानकारी देनी की एक कोशिश की गई है। 

प्रणेष असवाल

प्रणेश असवाल ने अपना फोटोग्राफी का कोर्स अभी पूरा किया है।  उसने कैलेंडर के लिए फोटो खींचने का कार्य खुद संभालने का फैसला लिया।  प्रज्ञा ने श्रृंगार और वेशभूषा  का जिम्मा लिया। इसमें प्रज्ञा आर्ट्स का  सोनाली मिश्रा और रीना रतूड़ी ने साथ दिया।  वहीँ अमन  शर्मा, राजू राजे सिंह, विक्रांत, राम और किरण ने बाकी  का सारा कार्य संभाला। कलेंडर को डिज़ाइन करने में मंगल सिंह मौर्य और  मल्टीप्लेक्स की टीम  द्वारा  रात दिन की मेहनत और  नतीजा कैलेंडर  के रूप में आपके सामने है।  इस सफ़र  में साथ देने के लिए प्रज्ञा आर्ट्स  की ओर से  रतन सिंह  असवाल, संयोजक पलायन एक चिंतन, गोपाल रतूड़ी, मल्टीप्लेक्स (इंडिया), संदीप शर्मा, वरिष्ठ अधिवक्ता उच्च न्यायालय और दलबीर सिंह रावत, संरक्षक प्रज्ञा आर्ट्स का आभार।

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