खुलासा

…तो कुंभ कोविड जांच घोटाले में सिस्टम बेदाग !

सवालः बगैर कंपनी की जांच कैसे दिया जांच का जिम्मा

एक अंग्रेजी दैनिक खोल रहा है जांच कंपनी का चिट्ठा

मीडिया की पड़ताल में नहीं मिला कंपनी का दफ्तर

पते में भीकाजी कामा पैलैस को बताया ईस्ट दिल्ली में

एफआईआर में कंपनी और लैब को ही बनाया आरोपी

निगरानी करने वाले अफसरों का भी नहीं कोई जिक्र

पत्रकार अजीत अंजुम ने भी वीडियो किया वायरल

देहरादून। हरिद्वार कुंभ के दौरान कोविड जांच के मामले में एक कंपनी और दो लैब के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है। सवाल यह है कि क्या इस घोटाले में सिस्टम से जुड़े लोग बेदाग हैं। सवाल यह भी है कि बगैर कंपनी के बारे में पड़ताल किए ही आमजन के जीवन से जुड़े मामले का ठेका कैसे दे दिया गया। मीडिया की पड़ताल में इस कंपनी के बारे में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सीएम तीरथ सिंह रावत का कहना है कि यह मामला उनके सीएम बनने से पहले का है। जांच हो रही है और दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा। वहीं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत का कहना है कि यह कोई भूल नहीं है। यह एक गंभीर आपराधिक मामला है।

देशभर में चर्चा का विषय बने कुंभ के दौरान जांच फर्जीवाड़े के मामले में हरिद्वार के मुख्य चिकित्साधिकारी ने एक एफआईआर कराई है। इसमें कहा गया है कि आईसीएमआर से मिली एक शिकायत की जांच कराई गई। तो पाया गया कि रैपिड ऐंटिजन टेस्ट के लिए सैंपल कलेक्शन सेंटर का नाम  मै. मैक्स कॉरपोरेट सर्विस, कुंभ मेला है इसकी जांच नलवा लैबोरेट्रीज प्राइवेट लिमिटेड हिसार ने की है। आगे की जांच में पाया गया कि दिनांक 13 अप्रैल 2021 से 16 मई, 2021 के बीज उक्त फर्म ने कुंल 1,04,796 सैंपल लिए। इनमें पॉजिटिविटी मात्र 0.18 फीसदी पाई गई। यह उक्त अवधि की हरिद्वार की सामान्य पॉजिटिविटी 5.3 फीसदी से काफी कम है। यह संदेह पैदा करता है। फर्म ने कुंभ मेला समाप्त होने के बाद भी एक से 15 मई तक पोर्टल पर की गई हैं। इसके अलावा भी कंपनी और लैब पर कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं।

अब सवाल यह उठ रहा है कि जब हरिद्वार में पॉजिटिविटी बेहद कम आई तो सिस्टम से जुड़े अफसर क्यों सोते रहे। उस दौरान भी इसका सोशल आडिट कराने की मांग की गई। लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब एफआईआर में कहा जा रहा है कि पाजिटिविटी कम होने पर संदेह हुआ। इस मामले में एक टाइम्म आफ इंडिया की टीम ने एक अहम पड़ताल की। अखबार ने अपनी रपट में छापा है कि नोयडा के सेक्टर 66 में जहां कंपनी ने अपना दफ्तर बताया है वहां मौके पर एक टिनशैड पाया गया। कंपनी ने अपना पता अंसल चैंबर, भीकाजी कामा पैलेस, ईस्ट दिल्ली लिखा है। जबकि ईस्ट दिल्ली में भीकाजी कामा पैलैस है ही नहीं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कोविड टेस्ट के लिए यह कंपनी आईसीएमआर से अधिकृत नहीं है। लेकिन किसी दूसरी कंपनी से टाइअप दिखाकर इसे ठेका दे दिया गया। वरिष्ठ पत्रकार अजीत अंजुम ने अपने यू-ट्यूब चैनल में टाइम्स आफ इंडिया की रिपोर्ट के आधार पर आधा घंटा का एक शो भी वायरल किया है। ऐसे में सवाल यह उठ रहा है कि क्या सीएमओ की ओर से दर्ज कराई गई इस एफआईआर के आधार पर इस बहुत बड़े फर्जीवाड़े के असली मगरमच्छ कानून की गिरफ्त में आ सकेंगे।

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