एक्सक्लुसिव

मनरेगाः अब आउटसोर्स से भर्ती की तैयारी

हड़ताली कर्मियों को एसीएस ने दिए हैं दो विकल्प

एजेंसी का विकल्प चुनने पर हैं कई फायदे

आउटसोर्स वाले कर्मियों को मिलेगा पीएफ

एजेंसी का खर्च खुद ही वहन करेगा विभाग

एजेंसी को पूर्व अफसर के संरक्षण की चर्चा

पुरानी व्यवस्था में रहने पर होगा नुकसान

नहीं दिया जाएगा हड़ताल अवधि का वेतन

देहरादून। एक तरफ मनरेगा के कर्मी हड़ताल पर हैं तो दूसरी ओर अफसरों ने आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से भर्ती कर तैयारी कर ली। अपर मुख्य सचिव ने हड़ताली कर्मियों को वापस आने के लिए दो विकल्प दिए हैं। कर्मी अगर आउटसोर्स एजेंसी में आना स्वीकार करते हैं तो उन्हें कई फायदे गिनाए गए हैं। अगर कर्मी पुरानी व्यवस्था ही स्वीकार करते हैं तो उन्हें हड़ताल अवधि का वेतन नहीं दिया जाएगा। आउटसोर्स के लिए किसी पूर्व अफसर के संरक्षण वाली एजेंसी का चर्चा भी तेज हो रही है।

मनरेगा योजना के तहत ग्राम व विकासखंड स्तर पर काम करने वाले कंप्यूटर प्रोग्रामर, उप कार्य़क्रम अधिकारी, कनिष्क अभियंता, कंप्यूटर आपरेटर और ग्राम रोजगार सेवक नियमितीकरण समेत अन्य मांगों को लेकर 15 मार्च से हड़ताल पर हैं। कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। अब विभाग ने इन लोगों को आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से नौकरी पर रखने का रास्ता निकाला है।

अपर मुख्य सचिव मनीषा पंवार की ओर से एक आदेश सभी जिलों में भेजा है। इमसें कहा गया है कि हड़ताली कर्मियों को काम पर वापस आने के लिए दो विकल्प दिए जा रहे हैं। पहला विकल्प में कहा गया है कि सभी कार्मिकों की सेवाएं आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से करके एनआरएलएम (नेशनल रुरल लिवलीहुड मिशन) के समकक्ष पदों के समान मानदेय कर दिया जाएगा। इसके अलावा नियोक्ता अंश का 13 फीसदी पीएफ (मय जीएसटी) के साथ ही आउटसोर्स एजेंसी का सर्विस चार्ज योजना के प्रशासनिक मद से किया जाएगा। आउटसोर्स एजेंसी पहले से काम रहे लोगों को प्राथमिकता देगी। कार्मिकों को इस समय मिल रही पांच फीसदी की सालाना बृद्धि नहीं दी जाएगा। इस विकल्प को स्वीकार करने वालों को पूर्व की भांति योगदान करा दिया जाएगा। मानदेय का भुगतान भी एनआरएलएम के समकक्ष पदों के अनुरूप होगा। पीएफ आदि का भुगतान एजेंसी के चयन के बाद होगा। या यूं भी कहा जा सकता है कि इस विकल्प को स्वीकार करने वालों का हड़ताल अवधि का मानदेय नहीं काटा जाएगा।

एसीएस ने दूसरे विकल्प में कहा गया कि कार्मिक बगैर किसी शर्त के पुरानी प्रचलित व्यवस्था पर भी काम पर वापस आ सकते हैं। लेकिन इन्हें हड़ताल अवधि का वेतन नहीं दिया जाएगा और न ही एनआरएलएम के समकक्ष पदों के अनुसार मानदेय दिया जाएगा। अलबत्ता इस समय मिल रही पांच फीसदी सालाना की बढ़ोतरी देय होगी।

इस आदेश से साफ जाहिर हो रहा है कि आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम ने अब मनरेगा में कार्मिकों की नियुक्ति होगी। शायद यही वजह है कि एजेंसी के अधीन काम करने वालों को सुविधाएं देने और बाकियों को न देने की बात हो रही है। यह भी चर्चा तेज हो रही है कि इस काम लिए अंदरखाने किसी आउटसोर्स एजेंसी का चयन कर भी लिया गया है। इस कथित एजेंसी को उत्तराखंड के ही किसी पूर्व नौकरशाह का संरक्षण मिला हुआ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि सरकार का इन मनरेगा कार्मिकों के प्रति क्या रुख रहता है।

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