उत्तराखंड

नैनीताल हाईकोर्ट ने ट्रेटा पैक की बिक्री पर लगी रोक हटा दी, बिक्री को लेकर जाने क्या होगी याचिका

नैनीताल हाईकोर्ट ने राज्य में बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए शराब के ट्रेटा पैक की बिक्री को लेकर दायर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। इसके साथ ही ट्रेटा पैक की बिक्री पर लगी रोक हटा दी गई है। कोर्ट ने सरकार से टेट्रा पैक पर क्यूआर कोड लगाने तथा प्रति पैक दस रुपये प्रोत्साहन राशि देने के लिए कहा है। राज्य सरकार की ओर से पेशशपथपत्र में कहा गया कि सभी उत्पादक निर्माताओं को निर्देश दे दिए हैं कि सभी टेट्रा पैर पर क्यूआर कोड लगाएं। इस आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया।

मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष चंपावत निवासी नरेश चंद्र की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने सिंगल यूज प्लास्टिक मामले को इससे जोड़ते हुए ट्रेटा पैक की श्रेणी में बिकने वाले अन्य उत्पादों पर भी बार कोड लगाने और उनके रेपर को विक्रेता तक वापस लेने की नीति का प्रस्ताव कोर्ट में पेश करने के लिए कहा। कोर्ट ने कहा कि नागरिक अपने नैतिक जिम्मेदारियों का उल्लंघन कर रहे है। इसलिए कोर्ट का कर्तव्य है कि उनको इसकी याद दिलाई जाए।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि वेस्ट के निस्तारण के लिए सरकार क्या कदम उठा सकती है। इस संबंध में राज्य सरकार ने जवाब पेश कर कहा कि इस मामले को सरकार गंभीरता से ले रही है और ट्रेटा पैक पर बार कोड लगाकर उसे वापस लेने की नीति बना रही है। वहीं, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की तरफ से कहा गया कि चार धाम यात्रा पर राज्य सरकार ने जिस तरह प्रदूषण के नियमों का पालन करते हुए प्रत्येक वाटर बोतल व प्लास्टिकयुक्त पैक सामग्री पर क्यू आर कोड लगा रही है उसी तरह प्रत्येक ट्रेटा पैक पर भी क्यूआर कोड लगाए जाएं। विक्रेता ग्राहक से निर्धारित मूल्य से दस रुपये अधिक लेंगे। यह भी शर्त रखेंगे कि दस रुपये तभी वापस होंगे जब यह पैक उपयोग के बाद दुकानदार को वापस करेंगे।

चंपावत निवासी नरेश चंद्र ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि सरकार की नई आबकारी नीति के अनुसार शराब के 200 एमएल के पैक को ट्रेटा पैक में बेचने की योजना है। ये सरकार के प्लास्टिक वेस्ट नियमावली के विरुद्ध है। इसकी वजह से पर्यवारण को नुकसान होगा। याचिकाकर्ता की ओर से इस पर रोक लगाने की मांग की थी। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि सरकार एक ओर प्लास्टिक कूड़े पर रोक नहीं लगा पा रही है, दूसरी तरफ टेट्रा पैक में इसे बेचने की अनुमति भी दे रही है, जिसकी वजह से प्रदूषण और बढ़ेगा।

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