उत्तराखंडः अफसरों की “लगाम” अपने हाथ में चाहते हैं मंत्री

एसीआर लिखने का अधिकार देने की मांग तेज
इस बार सतपाल महाराज ने की इसकी पहल
त्रिवेंद्र सरकार के समय भी उठा था यह मुद्दा
देहरादून। लोकतंत्र में कार्यपालिका (अफसरशाही) को घोड़ा और व्यवस्थपिका (मंत्रीगण) को घुड़सवार की की तरह माना जाता है। उत्तराखंड में यह सवाल कई बार उठता रहा है कि अफसर मंत्रियों के आदेश पर कोई खास तव्वजो नहीं देते हैं। अब नई सरकार में अभी मंत्रियों को विभागों की बंटवारा नहीं हो पाया है। लेकिन मंत्रीगणों ने अफसरों की लगाम उनके हाथों में देने की बात तेज कर दी है। इस बारे में इस बार इसकी पहल सरकार में दो नंबर की हैसियत वाले काबीना मंत्री सतपाल महाराज की ओर से हुई है।
त्रिवेंद्र सरकार के समय में यह मामला खासा तूल पकड़ा था। उस समय महाराज समेत कई मंत्रियों ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र से कहा था कि अफसरों (सचिव आदि) की एसीआर (सालाना गोपनीय प्रविष्टि) लिखने का अधिकार उन्हें दिया। लेकिन त्रिवेंद्र ने मंत्रियों की इस मांग को कोई भी तरजीह नहीं दी। फिर तीरथ औऱ पुष्कर को इतना वक्त ही नहीं मिला कि मंत्रीगण कुछ कह पाते।
अब मंत्रियों को पूरे पांच साल का वक्त मिला है। लिहाजा वे चाहते हैं कि अफसरों की लगाम उन्हें थमाई जाए यानि अपने विभाग के अफसरों की एसीआर लिखने का अधिकार दिया जाए। ऐसा होने पर अफसर मंत्रियों के आदेशों को हवा में उड़ाने का दुस्साहस नहीं कर पाएंगे। इस बार काबीना मंत्री सतपाल महाराज ने पहल की है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि जब तक मंत्रियों को अफसरों की एसीआर लिखने का आदेश नहीं दिया जाएगा। ये अफसर मनमानी करते रहेंगे। ऐसे में जनहित के तमाम फैसलों के अमल में पहले की तरह ही दिक्कत आती रहेगी।
यहां बता दें कि राज्य गठन के बाद पहली निर्वाचित सरकार स्व. एनडी तिवारी की अगुवाई में बनी थी। स्व. तिवारी ने अफसरों की एसीआर लिखने का अधिकार मंत्रियों को दिया था। बाद में भाजपा की सरकार बनने पर मंत्रियों का यह अधिकार मुख्यमंत्री ने अपने हाथ में ले लिया था। 2007 के बाद से अफसरों की एसीआर मुख्यमंत्रियों के द्वारा लिखी जाती रही है। अब देखना होगा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी मंत्रियों की इस मांग पर क्या रुख अपनाते हैं।