कांग्रेस की ‘रार’ का फायदा आखिरकार किसे
कहीं ऐसा न हो कि ‘आप’ और ‘भाजपा’ के बीच हो मुकाबला
एकता पर हरदा मानने को तैयार न इंदिरा
प्रदेश प्रभारी पर भी साधा गया है ‘निशाना’
देहरादून। एक कहावत है कि सूत न कपास और जुलाहों में…। यही कहावत आज कांग्रेस पर चरितार्थ हो रही है। चुनाव में सवा साल बाकी है। जनता क्या आदेश देगी उससे पहले ही कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर घमासान मच रहा है। हरदा अपने अंदाज में बैंटिग कर रहे हैं तो नेता प्रतिपक्ष के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष भी पीछे नहीं हैं। गुटों में बंटी ये कांग्रेस आखिरकार उत्तराखंड के लिए क्या करने वाली है। कहीं ऐसा न हो कि कांग्रेस की आपसी गुटबाजी के विवाद में 2022 का चुनाव आप बनाम भाजपा तक ही न सिमट जाए।
पिछले कुछ दिनों से कांग्रेस की अंतर्कलह सोशल मीडिया में सामने आ रही है। चुनाव 2022 में हैं पर अभी से सीएम की कुर्सी की दावेदारी हो रही है। हरीश रावत अपने अंदाज में सोशल मीडिया में बैंटिंग कर रहे हैं तो नेता प्रतिपक्ष इंदिरा और प्रीतम भी बाउंसर फेंक रहे हैं।
पहले बात हरदा की। उन्होंने पहले तो यह कहा कि तत्काल ही कांग्रेस को यह घोषित करना चाहिए कि मुख्यमंत्री कौन होगा। इस पर इंदिरा ने भी जवाब दिया तो हरदा बोले, मुझे मत बनाओ पर किसी को तो बनाओ। हरदा अपनी फेसबुक पर लगातार कांग्रेस नेताओं पर हमला कर रहे हैं। अहम बात यह भी है कि हरदा ने 2002 में एनडी तिवारी से लेकर विजय बहुगुणा तक तो सकून से रहने नहीं दिया। एक बात और 2002 में हरदा कांग्रेस अध्यक्ष थे तो कांग्रेस हाईकमान ने एनडी को सीएम बना दिया। 2012 में कांग्रेस सत्ता में आई तो हाईकमान मे बहुगुणा को भेज दिया। बाद में किसी तरह हरदा को सत्ता मिली तो भाजपा ने उसी तरह से उन्हें परेशान किया जिस तरह से वो अपनी पार्टी की सरकारों को परेशान करते रहे।
ताजा मामला कुछ अलग है। प्रीतम, इंदिरा और प्रदेश प्रभारी देवेंद्र य़ादव एक तरफ हैं तो हरदा अपनी ढपली अलग ही बजा रहे हैं। हरदा चाहते हैं कि उन्हें सीएम का दावेदार घोषित कर दिया जाए ताकि 2002 और 2012 जैसी स्थिति न बने। लेकिन कांग्रेस के दिग्गज ऐसा करने को तैयार ही नहीं हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं हैं कि आम कांग्रेसी और भाजपा का विरोधी वोटर ऐसे में नए विकल्प की तलाश ही करेगा। पिछले कुछ महीनों में आप ने उत्तराखंड में जिस तरह से आपनी पैठ बनाई है, उससे ऐसा लगता है कि आपसी रार में फंसी कांग्रेस को खासा नुकसान होगा और कहीं ऐसा न हो कि 2022 का चुनाव आप बनाम भाजपा ही न बन जाए।