
देहरादून। 6 अक्टूबर 2025
मंडुवा से बदलेगी पहाड़ की तकदीर 48.86 रुपये प्रति किलो पर खरीद शुरू, किसानों के चेहरे खिले
211 समितियों के माध्यम से प्रदेशभर में मंडुवा खरीद जारी, सहकारिता मंत्री बोले ‘लोकल से ग्लोबल’ तक पहुंचाएंगे पहाड़ी मिलेट्स
“पहाड़ का सोना—मंडुवा फिर से बना किसानों की उम्मीद”
उत्तराखंड के पहाड़ी अंचल में अब फिर से खेती की रौनक लौट रही है। कभी उपेक्षित माने जाने वाले मिलेट्स (मोटा अनाज) अब किसानों के लिए सोने से कम नहीं साबित हो रहे हैं। राज्य सरकार द्वारा मंडुवा की खरीद दर 48.86 रुपये प्रति किलो तय किए जाने से किसानों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है।
उत्तराखंड राज्य सहकारी संघ के माध्यम से प्रदेश भर में मंडुवा (फिंगर मिलेट्स) की खरीद प्रारंभ हो चुकी है। इस वर्ष 1 अक्टूबर से मंडुवा की सरकारी खरीद 48 रुपये 86 पैसे प्रति किलो की दर पर की जा रही है। राज्य भर में 211 सहकारी समितियों के माध्यम से यह खरीद जारी है।
अल्मोड़ा में 43, चमोली में 22, बागेश्वर में 13, उत्तरकाशी में 13, पौड़ी में 17, पिथौरागढ़ में 24, टिहरी में 30, रुद्रप्रयाग में 10, नैनीताल में 17 और देहरादून में 3 केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिनके माध्यम से मंडुवा सहित अन्य मिलेट्स की खरीद की जा रही है।
पिछले वर्ष प्रदेश भर के 10,000 किसानों से 31,640 कुंतल मंडुवा की खरीद 42.90 रुपये प्रति किलो की दर से की गई थी। इस वर्ष राज्य सहकारी संघ ने 50,000 कुंतल का लक्ष्य निर्धारित किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 19,000 कुंतल अधिक है।
सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि,
“हमारा उद्देश्य है कि मोटा अनाज मंडुवा जैसे पौष्टिक उत्पादों के माध्यम से उत्तराखंड का किसान अपनी आय में वृद्धि करे और उसका यह उत्पाद लोकल से ग्लोबल स्तर तक पहुंचे। राज्य सहकारी संघ के माध्यम से हम मिलेट्स एवं पहाड़ी उत्पादों की ब्रांडिंग कर उन्हें वैश्विक बाजार तक पहुंचाने जा रहे हैं। इसके लिए रोडमैप और बिजनेस प्लान तैयार किया जा चुका है।”
डॉ. रावत ने बताया कि उत्तराखंड में मंडुवा खरीद का आरंभ उन्होंने 18 रुपये प्रति किलो से किया था, जो आज बढ़कर 48.86 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुकी है।
“यह न केवल किसानों की मेहनत का सम्मान है, बल्कि उनकी आमदनी बढ़ाने का सशक्त माध्यम भी है। उत्तराखंड के ऑर्गेनिक मिलेट्स की मांग आज अन्य राज्यों और विदेशों में तेजी से बढ़ रही है। आने वाले समय में उत्तराखंड के पहाड़ी उत्पाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाएंगे।”
राज्य सहकारी संघ के प्रबंध निदेशक आनंद शुक्ला ने बताया 1 अक्टूबर से मिलेट्स की खरीद शुरू हो गई है ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियो और सोशल मीडिया अन्य माध्यम से मिलेट्स की खरीद को लेकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है ग्रामीण क्षेत्रों में अब किसान स्वयं जागरूक हो गए है वह स्वयं दूरभाष के माध्यम से संपर्क बनाए हुए हैं।
इस वर्ष क्रय केंद्रों में प्रति कुंतल 4886 रुपये की दर से मंडुवा खरीदा जा रहा है तथा प्रत्येक कुंतल पर 100 रुपये अतिरिक्त समिति को प्रोत्साहन राशि के रूप में दिए जा रहे हैं। यदि आवश्यकता हुई तो और अधिक क्रय केंद्र स्थापित किए जाएंगे ताकि किसान अपने नजदीकी केंद्रों पर ही मंडुवा बेच सकें वह स्वयं प्रदेश भर में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से स्वयं मॉनिटरिंग कर रहे हैं
मंडुवा केवल एक फसल नहीं, बल्कि पोषण, पर्यावरण और अर्थव्यवस्था—तीनों का संगम है। पहाड़ी क्षेत्रों की जलवायु में आसानी से उगने वाला यह अनाज मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखता है, कम पानी मांगता है और रासायनिक खादों की जरूरत नहीं होती—यानी यह पूरी तरह ऑर्गेनिक और पर्यावरण-संवेदनशील फसल है।
विश्व स्वास्थ्य संगठनों के अनुसार, मंडुवा कैल्शियम, आयरन, प्रोटीन और फाइबर से भरपूर होता है। यह न केवल मधुमेह और हृदय रोगियों के लिए लाभकारी है, बल्कि ग्लूटेन-फ्री होने के कारण शहरी बाजारों में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है।
पिछले दो वर्षों में, सहकारी समितियों और राज्य सहकारी संघ के प्रयासों से मंडुवा की खेती में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। इससे जहां किसानों की आमदनी दोगुनी हो रही है, वहीं पहाड़ों में पलायन रुकने की दिशा में भी यह एक महत्वपूर्ण कदम बन गया है।