उत्तराखंड की सियासत V/S तंत्र साधना
सीएम हटाने को सोशल मीडिया में फिर से है तंत्र साधना की चर्चा
पहले सीएम के समय में ही शुरू हुआ था सिलसिला
चर्चाओं के मुताबिक कई बार सफल भी रही साधना
कथित अभिशप्त सीएम आवास का भी रहा मिथक
देहरादून। उत्तराखंड गठन के चंद माह बाद ही सियासत में तंत्र साधना से सत्ता हासिल करने की कथित कवायद थमने का नाम नहीं ले रही है। एक बार फिर से सोशल मीडिया में खबरें चल रही हैं कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हटाने के लिए किसी गुप्त स्थान पर तंत्र साधना चल रही है।
राज्य के पहले सीएम बने नित्यानंद स्वामी के शपथ लेने के दस माह बाद ही कहा था कि उन्हें हटाने के लिए विरोधी तंत्र साधना कर रहे हैं। यह महज इत्तिफाक था या तंत्र साधना का असर कि स्व. स्वामी को कुर्सी से हटना पड़ा था। फिर एनडी तिवारी सीएम बने। बार-बार सुनाई दिया कि उन्हें हटाने के लिए तंत्र विद्य़ा का सहारा लिया जा रहा है तो यह भी सुनाई दिया कि स्व. तिवारी ने बचने के लिए भी इसी का सहारा लिया। बीसी खंडूड़ी रहे हों या फिर डा. रमेश पोखरियाल निशंक इसी तरह की तंत्र साधना की खबरें आम होती रहीं। सत्यता क्या है पर दोनों को ही कुर्सी से हटना पड़ा। यहां तक कि तत्कालीन सीएम खंडूड़ी को चुनाव तक हारना पड़ा।
2012 में विजय बहुगुणा सीएम बने तो उन्होंने नए बने सीएम आवास में जाने से परहेज नहीं किया। जबकि खंडूड़ी और निशंक के बाद यह कहा जाने लगा था कि इसमें रहने वाला सीएम अपना कार्य़काल पूरा नहीं कर पाता है। यह इत्तिफाक ही रहा कि अपने अंदाज में जिंदगी जीने वाले बहुगुणा को भी इसी आवास में रहते हुए कुर्सी छोड़नी पड़ी। बाद में सीएम बने हरीश रावत ने तो इस आवास में जाने की हिम्मत ही न जुटाई। बीजापुर गेस्ट हाउस को ही उन्होंने अपना आवास बनाया। लेकिन उनके समय में भी तंत्र साधना की बातें आम होती रही। कहा गया कि बीजापुर गेस्ट हॉउस के एक कमरे में कोई बड़ा तांत्रिक साधना करता था। विश्वास मत हासिल करने के दौरान विस के गेट पर हरदा की सरेआम हाथों में चावल लेकर तंत्र साधना की तस्वीरें भी उन दिनों खासी चर्चा में रहीं। हरदा को लेकर ज्योतिषी बेजन दारूवाला की भविष्यवाणी को लेकर भी सियासत गर्म होती रही। लेकिन उन्हें भी सत्ता से बाहर होना पड़ा।
2017 में कुर्सी पर त्रिवेंद्र सिंह रावत बैठे। उन्होंने तमाम अंध विश्वासों को दरकिनार करते हुए कथित अभिशप्त नए सीएम आवास को ही अपना ठिकाना बनाया। यह अलग बात है कि उन्होंने इस भवन के वास्तुदोष को खत्म करने के लिए एक खास किस्म की रेड सिंधी गाय को पाला और उसकी सेवा की। त्रिवेंद्र साढ़े तीन साल का कार्य़काल पूरा कर चुके हैं। लंबे समय से उनके हटने की चर्चाएं होती रही हैं। पिछले दिनों कुछ विधायकों ने उनके खिलाफ मोर्चा भी खोला। लेकिन सफलता नहीं मिली।
अब सोशल मीडिया में इस तरह की खबरें चल रही है कि त्रिवेंद्र के सियासी प्रतिद्वंदी उन्हें हटाने के लिए एक बार फिर से तंत्र साधना का सहारा ले रहे हैं। किसी स्थान पर उनके सियासी विरोधियों की शह पर यह तंत्र साधना चल रही है। इस तंत्र साधना की कोई पुष्टि तो नहीं कर रहा है पर सियासी गलियारों में भी इसी तरह की बातें की जा रही हैं।