कोरोनाः टेस्टिंग में हरिद्वार व यूएस नगर फिसड्डी

एक लाख की आबादी पर महज साढ़े पांच सौ लोगों सैंपल्स की ही जांच
चंपावत में यह औसत 1317 से साथ सबसे बेहतर
1189 सैंपल्स के साथ देहरादून है दूसरे स्थान पर
देहरादून। कोरोना की जांच के लिए सैपल्स के मामले में सूबे के मैदानी जिले हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर सबसे फिसड्डी हैं। इस मामले में पहाड़ी जिला चंपावत सबसे आगे हैं। देहरादून के अलावा अन्य सभी जिलों में सैंपल्स का औसत प्रति एक लाख की आबादी पर एक हजार से कम है।
सोशल डेवलपमेंट फॉर कम्युनिटी फॉउंडेशन नामक संस्था सरकार की ओर से कोरोना को लेकर जारी होने वाले बुलेटिन की समीक्षा करती है। इस संस्था के संस्थापक अनूप नौटियाल ने बताया कि राज्य में कोरोना का पहला केस 15 मार्च को सामने आया था। 14 जुलाई तक के आंकड़ों की समीक्षा की गई है। इसमें पाया गया है कि उत्तराखंड में सैंपल्स जांच का औसत राष्ट्रीय औसत की तुलना में 15 फीसदी कम है।
अनूप बताते हैं कि आंकड़े बता रहे हैं कि सैंपल्स जांच के मामले में मैदानी जिले बहुत पीछे हैं। हरिद्वार जिले की आबादी 23.06 लाख है और इस जिले में अब तक महज 12,024 सैंपल्स की की जांच हुई है। अगर आबादी के लिहाज से बात की जाए तो ये प्रति एक लाख पर महज 521 ही है। इसी तरह ऊधमसिंह नगर जिले की आबादी 21.11 लाख है। इस जिले में अब तक महज 11,477 सैंपल्स की जांच हुई है। यह प्रति लाख पर महज 571 ही है।
इस मामले में पहाड़ी जनपद चंपावत सबसे आगे हैं। इस जिले की आबादी महज 2.65 लाख ही है। इस जिले में अब तक 3,491 सैंपल्स की जांच हो चुकी है। यह आबादी के लिहाज से प्रति एक लाख पर 1371 है। इस मामले में देहरादून जिले की स्थिति अन्य जिलों से कुछ बेहतर हैं। 20.69 की आबादी वाले इस जिले में अब तक 24,599 सैंपल्स की जांच हो चुकी है। इस लिहाज से प्रति एक लाख की आबादी पर 1189 लोगों की जांच हो रही है।
अनूप बताते हैं कि अन्य पर्वतीय जिलों में में प्रति लाख की आबादी पर सैंपल्स का औसत एक हजार से कम ही है। उत्तराकाशी में यह 987, रुद्रप्रयाग में 959, पौड़ी में 954, नैनीताल में 852, चमोली में 785, बागेश्वर में 785, टिहरी में 698, पिथौरागढ़ में 638 और अल्मोड़ा में 595 है।