एक्सक्लुसिव
सरकारी अस्पतालों से डेढ़ सौ डॉक्टर लापता

उत्तराखंड के सेहत महकमे को कई सालों बाद अब आई इनकी याद
पहाड़ ही नहीं मैदानी जनपदों का एक जैसा हाल
नाममात्र की फीस पर पढ़ाई करने वाले भी शामिल
अब नौकरी खत्म करने का दिया सार्वजनिक नोटिस
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों से डेढ़ सौ डॉक्टर सालों से लापता है। जी हां, ये हम नहीं कह रहे हैं। इसका खुलासा सूबे के सेहत महकमे का एक सार्वजनिक इश्तहार खुद ही कर रहा है। सालों बाद महकमे को इनकी याद आई है और अब इनकी नौकरी खत्म करने की दिशा में काम शुरू कर दिया गया है।
यूं तो पूरे राज्य में डॉक्टरों की खासी कमी है। लेकिन पर्वतीय अंचलों में स्वास्थ्य सेवाएं भगवान के भरोसे ही है। सरकार समय-समय पर नियुक्तियों की बात करती रहती है। सूबे का सेहत महकमा किस तरह से काम कर रहा है, इसे इसी महकमे के एक इश्तहार से समझा जा सकता है। महानिदेशक, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा की ओर से जारी इस इश्तहार में 147 डॉक्टरों के नाम और उनके तैनाती स्थल लिखे गए हैं। इसमें कहा गया है कि ये डॉक्टर सालों से अपने तैनाती स्थल पर नहीं है। इन्होंने अपनी गैरहाजिरी के बार में भी विभाग को कुछ नहीं बताया है। इन सभी को दो सप्ताह में डीजी दफ्तर में अपनी आमद कराने और गैरहाजिरी की वजह बताने को कहा गया है। ऐसा न करने पर इनकी सेवाएं समाप्त करने की चेतावनी भी दी गई है।
अहम बात यह भी है कि लापता डॉक्टरों की तैनाती पर्वतीय क्षेत्रों के साथ ही देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर जैसे मैदानी जनपदों में भी हैं। इनमें वे डॉक्टर भी शामिल हैं, जिनके सरकारी मेडिकल कालेजों से नाममात्र की फीस से अपनी पढ़ाई पूरी की है और पांच साल तक सरकारी सेवा में रहने का बांड भी भरा है।
अब सवाल यह है कि गर ये डॉक्टर सालों से गायब हैं तो जिलों के सीएमओ और अस्पतालों के सीएमएस क्या करते रहे। इनकी गैरहाजिरी पर किसी भी स्तर से कोई एक्शन क्यों नहीं लिया गया है। महामारी के इस दौर में सेहत महकमे को इनकी तलाश करने की याद आई है।