राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बीमा कम्पनी की रिजीवन याचिका को किया निरस्त
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने इश्योरेंस कम्पनी को 10.15 लाख मय ब्याज भुगतान का फोरम व राज्य आयोग के आदेशों को सही माना
14 दिन के अन्दर चोरी होने पर वाहन ट्रांसफर की सूचना न देने पर भी बीमा क्लेम निरस्त नहीं किया जा सकता
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने बीमा कम्पनी की रिजीवन याचिका को किया निरस्त
राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग ने उत्तराखंड राज्य उपभोक्ता आयोग के वाहन ट्रांसफर से 14 दिन के अन्दर चोरी होने पर वाहन ट्रांसफर की सूचना बीमा कम्पनी को न देने के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त करने को गलत मानने के फैसले को सही मानते हुये बीमा कम्पनी की रिवीजन याचिका को निरस्त कर दिया।
जिला उपभोक्ता फोरम ने वाहन चोरी के बीमा क्लेम को बीमा कम्पनी को वाहन ट्रांसफर की सूचना न देने के आधार पर खारिज करना गलत मानते हुये बीमा कम्पनी को उपभोक्ता को 10 लाख 15 हजार का भुगतान का आदेश दिया है। इसमें 10 हजार रूपये मानसिक क्षतिपूर्ति तथा 5 हजार रू. बाद व्यय भी शामिल है। इसके अतिरिक्त बीमा कम्पनी को 7 प्रतिशत वार्षिक की दर से वाद दायर करने से भुगतान की तिथि तक का ब्याज भी भुगतान करने को आदेशित किया गया था। राज्य आयोग ने इस निर्णय व आदेश को बिल्कुल सही मानते हुये उसकी पुष्टि कर दी। राष्ट्रीय आयोग ने इन दोनों के आदेश की पृष्टि कर दी।
काशीपुर के जमील अहमद तथा मुशर्रफ की ओर से अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट द्वारा जिला उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर करके कहा गया था कि जमील अहमद ने अपने ट्रक सं0 यू0के0-6सी ए-0916 का बीमा ओरिएण्टल इश्योरेंस कम्पनी लि0 की काशीपुर शाखा कार्यालय से करवाया जो 31-10-2014 से 30-10-2015 तक वैध था। इसी बीच 27-11-2014 को जमील अहमद ने अपना बीमित ट्रक मुशर्रफ को बेच दिया जिसे सम्बन्धित परिवहन अधिकारी के अभिलेखों मेें दर्ज कर दिया जिसकी प्रति 28-11-2018 को जब प्राप्त हुई तो बीमा कम्पनी का कार्यालय बन्द हो चुका था। 29 व 30 नवम्बर को कम्पनी का कार्यालय बन्द था।
इस कारण वाहन हस्तांतरण की सूचना नहीं दी जा सकी। 29 व 30 नवम्बर 2014 की रात को काशीपुर से बीमित ट्रक चोरी हो गया। परिवादीगण द्वारा काफी ढूंढने पर जब वाहन नहीं मिला तब इसकी रिपोर्ट कोतवाली काशीपुर में दर्ज करायी और पुलिस द्वारा प्रयास करने पर भी जब वाहन नहीं मिला तब पुलिस ने अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट काशीपुर के न्यायालय में अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत की गयी जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
परिवादी ने बीमा कम्पनी को चोरी की सूचना दी जिस पर कम्पनी के अधिकारी व सर्वेयर ने घटना स्थल का सर्वे किया तथा इससे संबंधित जानकारी तथा सम्बन्धित कागजातों की प्रतियां प्राप्त की। जब बीमा कम्पनी द्वारा क्लेम की धनराशि नहीं दी गयी तब सूचना का अधिकार के अन्तर्गत सूचना मांगी गयी। जिसमें कम्पनी ने बताया कि वाहन हस्तांतरण की सूचना परिवादी द्वारा नहीं दी गयी इसलिये क्लेत निरस्त किया गया।
इस पर परिवादीगण ने अपने अधिवक्ता नदीम उद्दीन एडवोकेट के माध्यम से नोटिस भिजवाया। जिस पर भी कोई कार्यवाही न करने पर उपभोक्ता फोरम में परिवाद दायर किया गया।
बीमा कम्पनी की ओर से वाहन हस्तांतरण की सूचना बीमा कम्पनी को न देने तथा बीमा कराने वाले जमील अहमद का चोरी के समय बीमित वाहन में कोई बीमित हित न होने के आधार पर बीमा क्लेम खारिज करने का कथन किया।
जिला उपभोक्ता फोरम के तत्कालीन अध्यक्ष आर0डी0पालीवाल तथा सदस्य सबाहत हुसैन खान ने परिवादीगण के अधिवक्ता नदीम उद्दीन के तर्कों से सहमत हुये अपने निर्णय में लिखा कि मामले के तथ्य व परिस्थिितियां ऐसी थी कि परिवादीगण ने बिना किसी देरी के विपक्षी बीमा कम्पनी को वाहन चोरी की सूचना दिनांक 01-12-2014 को दी। वाहन बीमित था और बीमित अवधि में ही चोरी हुआ। चोरी की दिनांक 29/30-11-2014 की रात्रि को चूंकि मुशर्रफ ही वाहन का स्वामी था इसलिये परिवादी मुशर्रफ ही बीमा धनराशि पाने का अधिकारी है।
जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कम्पनी को बीमित वाहन की धनराशि रू. दस लाख 7 प्रतिशत साधारण ब्याज जो परिवाद दायर करने की तिथि 16-02-2017 से वास्तविक भुगतान की तिथि तक देय होगा का भुगतान एक माह के अंदर करने का आदेश दिया। साथ ही मानसिक क्षति के 10 हजार तथा वाद व्यय के रू.पांच हजार का भी भुगतान करने का आदेश दिया है।
बीमा कम्पनी ने इस आदेश के विरूद्ध अपील संख्या 134/2018 राज्य उपभोक्ता आयोग को कर दी। राज्य उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस डी.एस. त्रिपाठी तथा सदस्य उदय सिंह टोलिया की पीठ ने अपने निर्णय दिनांक 06-01-2023 में 14 दिन के अन्दर वाहन चोरी होने पर वाहन पाॅलिसी ट्रांसफर न होने के आधार पर बीमा क्लेम निरस्त करने को गलत मानने के जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश को पूर्णतः सही माना।
बीमा कम्पनी ने राज्य आयोग के आदेश के विरूद्ध रिवीजन पिटीशन सं0 1724/2023 राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में दायर की। राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के अध्यक्ष जस्टिस ए.पी.शाही तथा सदस्य जस्टिस राम सूरत राम मौर्य ने राज्य आयोग व उपभोक्ता फोरम के आदेशों को सही मानते हुये रिवीजन याचिका को अपने 02 अगस्त 2023 के आदेश से निरस्त कर दिया।