भाजपा हाईकमान ने दिया कई को ‘झटका’

अपनी ही गेंद पर ‘हिट विकेट’ हो गए एक दिग्गज
दो दिग्गज चहेतों को भी न दिलवा पाए कुर्सी
हरदा को हराने वाले शुक्ला को भी मायूसी
देहरादून। पिछले पांच रोज से चल रहे सियासी ड्रामे के बाद यह साबित हो गया है कि भाजपा हाईकमान ही सबकुछ है। न विधायकों की कोई औकात है न ही दिग्गजों की। जो हाईकमान चाहेगा वही होगा। एक दिग्गज से कुर्सी छीन ली गई तो पूरे खेल के मास्टर माइंड रहे एक दिग्गज खुद तो हिट विकेट हुए ही खेल के सूत्रधार रहे अपने चहेते के लिए कुछ नहीं कर पाए। ये अलग बात है कि खेल में शामिल रहे एक विधायक राज्यमंत्री का दर्जा पा गए।
उत्तराखंड में सामान्य से दिख रहे हालात में अचानक ही भूचाल आ गया। पांच दिनों को उठापठक के बाद अब सब सामान्य सा दिख रहा है। लेकिन ऐसा है नहीं। अभी कई खेल बाकी है। अहम बात यह भी है कि सत्ता पटल की रणनीति रखने वाले एक दिग्गज को इस वजह से मात खानी पड़ी कि वो शीर्ष कुर्सी को हासिल नहीं कर सके। लंबा खेल खेला और त्रिवेंद्र को पूर्व होना पड़ा। लेकिन यह भी साफ दिखा कि उत्तराखंड के उस चाण्यक को सीएम की कुर्सी न मिल न सकी।
इसके बाद अपने एक चेहते को को डिप्टी सीएम की कुर्सी की देने की खबरें खूब चलवाई गईं। चूंकि वो एक अहम पद पर थे तो मीडिया ने भी जमकर खबरें वायरल कीं। एक नेता जी के खास तो सीधी मुख्यमंत्री ही बना दिया था मीडिया ने आज नतीजा सामने आया तो न गुरू का नाम है और न गुरु का तो होना ही न था। और सीएम बनने वालों को पुराने पद पर ही संतोष करना पड़ा है।
इस पूरे घटनाक्रम में सबसे ज्यादा कोई आहत हुए हैं तो किच्छा विधायक राजेश शुक्ला। तीन बार के विधायक शुक्ला जिन्होंने सीएम रहते हरीश रावत को हराया हो, उनका अधिकार तो बनता था। पर हाईकमान ने उन्हें दरकिनार किया औक हरिद्वार ग्रामीण से हरदा को हराने वाले यतीश्वरानंद को राज्यमंत्री बना दिया।
इस पूरे मामले में एक अहम बात यह भी है कि गैरसैंण में चल रहे बजट सत्र के दौरान भाजपाई विधायकों के बगावत की आशंकाओं को दिल्ली तक पहंचाने वालों में स्वामी यतीश्वरानंद और खटीमा विधायक पुष्कर धामी ही थे। इसके बाद भी हाईकमान हरकत में आया था। एक को मंत्री पद और एक को बाय बाय।