उत्तराखंड

एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय बदलाव और उसके प्रभाव पर आयोजित किया राउंड टेबल डायलाग

एसडीसी फाउंडेशन ने उत्तराखंड के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय बदलाव और उसके प्रभाव पर आयोजित किया राउंड टेबल डायलाग

देहरादून।

देहरादून स्थित एसडीसी फाउंडेशन की ओर से दून लाइब्रेरी में उत्तराखंड के मौजूदा हालात पर एक राउंड टेबल डायलाग का आयोजन किया गया। विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों ने इस चर्चा में हिस्सा लिया। सभी इस बात से सहमत थे कि उत्तराखंड में कई पहुलओं पर बेहद चिंताजनक स्थितियां उभर रही हैं।

‘उत्तराखंड का भविष्य: सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक, और पर्यावरणीय बदलाव और उसका प्रभाव’ विषय पर आयोजित सम्मेलन की शुरुआत दून लाइब्रेरी के चंद्रशेखर तिवारी ने की। वरिष्ठ पत्रकार और एक्टिविस्ट राजीव नयन बहुगुणा ने कहा कि उत्तराखंड का समाज एक भयावह चुप्पी से गुजर रहा है। इस चुप्पी को तोड़ने के लिए जो आवाजें उठ रही हैं, वे ज्यादातर मामलों में चुप्पी से ज्यादा खतरनाक साबित हो रही हैं। इस चुप्पी को उत्तराखंड के वे लोग तोड़ सकते हैं, जो सत्तालोलुप न होें।

वरिष्ठ पत्रकार और लेखक जयसिंह रावत ने कहा कि आज भ-ूकानून आंदोलन के नाम पर जो हो रहा है, वह वास्तव में भू-कानून आंदोलन नहीं, सिर्फ जन भावनाओं को भड़काने का आंदोलन है। उन्होंने बाहरी शब्द को असंवैधानिक बताया और कहा कि इस शब्द का इस्तेमाल करके भू बंदोबस्त की लड़ाई को कमजोर किया गया है। उत्तराखंड के पूर्व वन प्रमुख जयराज ने कहा कि सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार चरम पर है। सरकार सिविल सोसायटी की बात नहीं मान रही है और पब्लिक से जुड़े रोज़मर्रा के कामों में बिना लेन देन के काम नहीं हो रहे हैं। उन्होंने प्रदेश में राजनैतिक विकल्प को विकसित करने पर ज़ोर दिया।

सामाजिक कार्यकर्ता जगमोहन मेहंदीरत्ता ने हाल के दिनों में उत्तराखंड में मैदानी और पहाड़ी के विवाद पर चिन्ता जताई। उन्होंने कहा कि क्षेत्रवाद उत्तराखंड में राजनीति में सफलता पाने का शॉर्टकट बन गया है। सामाजिक कार्यकर्ता रणवीर चौधरी ने कहा कि उत्तराखंड में लाखों बीघा जमीन की खरीद-फरोख्त हुई है, पर सरकारी विभाग सूचना भी ठीक से नहीं दे रहे हैं। ग्रामीण विकास और पलायन निवारण पर काम करने वाले रतन असवाल ने कहा कि टूरिज्म और हॉर्टिकल्चर के क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने की दिशा में काम किया जाना चाहिए।

पत्रकार पवन लालचंद ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में मैदानी क्षेत्र भी हैं, लेकिन मैदानी क्षेत्रों की आमतौर पर बात नहीं होती। कई समस्याओं से जूझता नारसन का किसान भी चाहता है कि उसकी बात हो।पत्रकार योगेश कुमार ने उत्तराखंड में प्रेशर ग्रुप बनाने की जरूरत बताई। एक्टिविस्ट त्रिलोचन भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड में साम्प्रदायिकता और क्षेत्रवाद हावी हो गया है और यह सुनियोजित तरीके से किया जा रहा है।

एसडीसी फाउंडेशन के अनूप नौटियाल ने चर्चा का सार प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में राज्य में पर्यावरण को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाया जा रहा है। प्रदेश में बेतरतीब व्यवस्था का उदहारण देते हुए उन्होंने चारधाम यात्रा में कैरिंग कैपेसिटी का जिक्र किया। उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था की चिन्ताजनक स्थिति और राजनीतिक शून्यता की स्थिति के हालातों में बुद्धिजीवियों, युवाओं और महिलाओं को आगे आने की जरूरत पर बल दिया।

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