कोशिश करूंगा कभी मैदान से हो सीएम

कांग्रेसी दिग्गज हरदा ने छोड़ा एक नया शगूफा
पॉली हाउस की फाइल खुली तो दिक्कत में होंगे महाराज
य़शपाल आर्य समझते हैं उत्तराखंड के वोटरों की आहट
2002 की तरह ही कांग्रेस संगठन आज भी है कमजोर
राज्य के एक मुख्यमंत्री को विधायकों को बांटते थे कैश
देहरादून। उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष और दिग्गज नेता हरीश रावत ने दलित सीएम के बाद एक शगूफा छोड़ा है। हरदा का कहना है कि कोशिश करूंगा कि कभी मैदान से भी कोई नेता उत्तराखंड का सीएम बने। हरदा कहते हैं कि अगर पॉली हाउस की फाइल खुल जाए तो सतपाल महाराज का सार्वजनिक जीवन कठिन हो जाएगा।
दैनिक उत्तराखंड से बातचीत में हरदा ने तमाम खुलासे किए। उन्होंने कहा कि 2022 के चुनावी हालात 2002 की तरह ही हैं। उस समय भी कांग्रेस संगठन कमजोर था और आज भी है। हां, एक बात है कि उतना कमजोर नहीं है। लेकिन दोनों चुनावों की चुनौतियां एक समान हैं। कांग्रेस ने उस दौर में भी जीत हासिल की थी और इस बार भी करेगी।
य़शपाल आर्य़ की वापसी के सवाल पर हरदा ने कहा कि उन्हें वोटरों की आहट पहचानने में महारत है। 2017 में वे अपने बेटे के लिए टिकट चाहते थे। लेकिन कांग्रेस ने मना कर दिया। भाजपा ने उन्हें आफर दिया और पुत्र मोह में उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। उनके आने से कांग्रेस को परंपरागत दलित एवं शिल्पकार वोट एक मुश्त मिलेगा और कांग्रेस इन्हीं वोटों से अपनी गिनती शुरू करेगी।
दलित सीएम के सवाल पर हरदा ने कहा कि अब तक ब्राह्मण और ठाकुर को मौका मिला है तो दलित को क्यों नहीं मिलना चाहिए। यह अलग बात है कि 2022 में न सहीं तो 2029 में। हरदा ने आगे कहा कि उऩकी कोशिश होगी कि कभी मैदानी क्षेत्र के नेता को भी उत्तराखंड का सीएम बनने का मौका मिले। इस दिशा में काम करने की जरूरत है। हरदा ने एक गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तराखंड में एक सीएम तो ऐसे हुए हैं,जो विधायकों को कैश तक बांटते थे।
बागियों की वापसी के सवाल पर उन्होंने कहा कि महाराज, हरक और बहुगुणा ने कांग्रेस केवल इस वजह से छोड़ी कि उन्हें लगा कि भाजपा में नेताओं की कमी है और उन्हें सीएम पद मिल सकता है। लेकिन वहां भी उनकी राह कठिन ही रही। अब उन्हें अंगूर खट्टे लग रहे हैं। हरदा ने कहा कि जहां तक महाराज की बात है, अगर पॉली हाउस की फाइल खुल जाए तो उऩका सार्वजनिक जीवन कठिन हो जाएगा। वैसे भी 2016 का का घटनाक्रम लोकतंत्र और अटलजी के प्रति अपराध है।
भाजपा नेताओं के निशाने पर केवल हरदा ही क्यों, इस पर उन्होंने कहा कि पार्टी ने जो जिम्मेदारी दी है, उसे निभा रहे हैं। वैसे में मैं मोदी ने अपनी तुलना नहीं कर सकता। कहा जाता है कि अमित शाह तो मोदी से भी ज्यादा ताकतवर है। उनकी कोशिश है कि एक बार और मौका मिल जाए (सीएम बनने का) तो अधूरे कार्यों को पूरा कर सकूंगा। नेताओं के पुत्र और पुत्रियों को टिकट के सवाल पर उन्होंने कहा कि क्यों नहीं मिलने चाहिए। अगर कोई सार्वजनिक जीवन में काम कर रहा है तो क्या केवल इस वजह से उसे नजर अंदाज करना होगा कि वह किसी नेता का पुत्र या पुत्री है। उन्होंने कहा कि वैसे जीवन में कुछ लोगों को बहुत कुछ आसानी से मिल जाता है, जैसे 2012 में विजय बहुगुणा को सीएम की कुर्सी मिल गई। क्या बहुगुणा उनसे ज्यादा अनुभवी थे।
हरदा ने कहा कि पांच सालों में भाजपा ने उत्तराखंडियत को दूर किया। जबकि वे इसी दिशा में काम करते रहे। यही वजह है कि आज उत्तराखंड में नारा गूंज रहा है कि सबकी चाहत-हरीश रावत।
खबर का श्रोत- दैनिक उत्तराखंड के गजेंद्र रावत की हरदा से बातचीत