तस्वीर का सच

सेलाकुई में संक्रामक रोगों का खतरा !

पूरे कस्बे में गंदगी के ढेर, नगर निगम नहीं ले रहा कोई सुध

कोर्ट में है ग्राम पंचायत से नगर पंचायत बनने का मामला

विधायक, नगर निगम और एसडीएम से गुहार भी बेअसर

न्यूज वेट ब्यूरो

देहरादून। न खुदा ही मिला, न बिसाले सनम। यह बात सेलाकुई पर एकदम फिट हो रही है। ग्राम पंचायत ने नगर पंचायत में उच्चीकरण सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। अब इस कस्बे की सुध लेने वाला कोई नहीं है। कोराना महामारी के इस दौर में पूरा कस्बा गंदगी के ढेर में तब्दील हो चुका है। ग्राम प्रधान तमाम दरवाजों पर गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कोई सुध नहीं ले रहा है।

एनडी तिवारी ने सेलाकुई को औद्योगिक क्षेत्र बनाया तो हरीश रावत ने 2015 में इसे ग्राम पंचायत से नगर पंचायत का दर्जा दिया। यहीं से इस कस्बे के दिन खराब हो गए। उच्चीकरण का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है। ऐसे में सेलाकुई न तो ग्राम पंचायत है और न ही नगर पंचायत। अब इस कस्बे में सफाई आदि का काम कौन करवाए।

कुछ समय तक तो देहरादून नगर निगम ने यहां सफाई करवाई। लेकिन कोराना संकट के दौर में इसे अपने हाल पर छोड़ दिया गया है। पूरे कस्बे में चारों और कूड़े के ढेर लगे हैं। जमनपुर, एकता विहार, निगम रोड, गोरखा बस्ती, पीठ वाली गली, ब्लाक दफ्तर आदि क्षेत्रों से तो बदबू की वजह से लोगों का गुजरना मुहाल हो गया है। औद्योगिक क्षेत्र होने की वजह से यहां मजदूर बस्तियों की संख्या भी ज्यादा है।

ग्राम प्रधान भगत सिंह राठौर कहते हैं कि कोई सुनने वाला नहीं है। विधायक सहदेव पुंडीर से बात की तो उन्होंने विकासनगर के एसडीएम से कहा। लेकिन कुछ हुआ नहीं। राठौर कहते हैं कि वे नगर निगम और जिला प्रशासन से भी गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कोई नहीं सुन रहा है।

सवाल यह है कि कोरोना संकट की वजह नगर निगम शहर को सेनेटाइज करवा रहा है तो इस सेलाकुई को क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है। जिला प्रशासन को भी इस कस्बे की कोई चिंता नहीं दिख रही है। क्या ये क्षेत्र देहरादून जिले से बाहर है। अहम बात यह भी है कि इसी सेलाकुई क्षेत्र से सरकार को सालाना अरबों रुपये का राजस्व मिलता है।

 

 

 

Back to top button