इस दिवाली भी रोशन न हुई अरमानों की ‘बत्ती’

मंत्रिमंडल विस्तारः खत्म ही नहीं हो रहा विधायकों का इंतजार
बस चर्चाओं में ही मिल रही तारीख पर तारीख
देहरादून। विधायकों के अरमानों की बत्ती इस दिवाली भी रोशन न हो सकी। मंत्री बनने का विधायकों का ख्वाब पूरा होने का समय ही नहीं आ पा रहा है। इस मुद्दे पर सियासी गलियारों में बस तारीख पर तारीख ही फिजाओं में तैरती रहती है।
मार्च-2017 में भाजपा ने त्रिवेंद्र सिंह रावत की अगुवाई में सरकार बनाई थी। उस वक्त कैबिनेट के दो पद खाली रखे गए थे। इन्हें भरने की चर्चाएं ही होती रही और इन चर्चाओं को हकीकत में नहीं बदला जा सका। लगभग एक साल पर काबीना मंत्री प्रकाश पंत की असमय की दुखद मृत्यु के बाद एक पद और खाली हो गया। इसके बाद भी समय-समय पर इन तीन पदों की भरने की बातें की जाती रही।
बंशीधर भगत ने प्रदेश अध्यक्ष पद संभाला तो सबसे पहले उन्होंने कैबिनेट एक्सपेंशन की ही बात की। फिर कोर कमेटी की बैठक में ही एक्सपेंशन पर सहमति बनी। इसके बाद पहले नवरात्र का मुहूर्त सियासी फिजा में तैरा। फिर कहा गया कि बिहार चुनाव के तत्काल बाद विस्तार हो जाएगा। फिर कहा गया कि दिवाली से पहसे तो विधायकों को मंत्री पद का तोहफा दे दिया जाएगा। आज दिवाली है। लेकिन एक्सपेंशन की कहीं कोई बात ही नहीं हो रही है। जाहिर है कि विधायकों के अरमानों की बत्ती इस दिवाली भी नहीं जल सकी।
दरअसल, इस मामले में सबसे बड़ी दिक्कत यह है कि तीन पदों के लिए दावेदारों की संख्या पांच गुना से भी ज्यादा है। हर विधायक पास के मंत्री बनने के अपने-अपने तर्क है और उनका कहना है कि पहला हक उन्हीं का है। ऐसे में एक्सपेंशन होने की दशा में विधायकों में नाराजगी बढ़ सकती है। शायद यही वजह है कि इस मामले में विधायकों का इंतजार खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है।
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