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तो खत्म कर दीजिए पौड़ी का कमिश्नरी का दर्जा… रतन सिंह असवाल

तो खत्म कर दीजिए पौड़ी का कमिश्नरी का दर्जा…
रतन सिंह असवाल

पौड़ी एक सुंदर नगर है। घने देवदार और बांज के जंगलों से घिरा एक ऐसा नगर जहां से गिरिराज हिमालय की विस्तृत श्रृंखला के सबसे अधिक हिमशैल-शिखर एक साथ देखे जा सकते हैं । खैर.. अब मुद्दे पर आता हूं।

पौड़ी के शीर्ष पर स्थित नागदेव मंदिर से यदि कण्डोलिया की तरफ़ लगभग २ किलोमीटर लंबे मार्ग पर आप चलें तो आप पायेंगे कि कमिश्नर गढ़वाल का कार्यालय और आवास बहुत ही रमणीक स्थल पर है ।

ठीक उसके नीचे कमिश्नर बोर्ड ऑफ रेवेन्यू और DIG गढ़वाल के आवास और कार्यलय है…. थोड़ा सा और नीचे आते हैं तो चीफ कंजरवेटर गढ़वाल का कार्यालय और आवास परिसर है… चलते चलते उससे थोड़ा और नीचे आते है तो चीफ इंजीनियर PWD गढ़वाल का देवदार के पेड़ो से घिरा शानदार परिसर कनडोलिया में है। थोड़ा आगे DM आवास की ओर बढेगे तो पूल्ड हाउस और शिक्षा विभाग का भव्य परिसर आपको दिख जाएगा । जहां से आप हिमालय के नयनाभिराम दृश्य का आनंद ले सकते हैं ।

इसके अलावा चीफ इंजीनियर जल संस्थान, जल निगम, निदेशक कृषि और जाने कौन कौन से मंडल स्तरीय कार्यालय पौड़ी में खमखा स्थान घेरे हुए है क्योंकि ये सारे अधिकारी देहरादून से ही कार्य संचालित करते है ।

15 अगस्त 2 अक्टूबर या 26 जनवरी को मजबूरी के नाम पर इनको पौड़ी में देखा जा सकता है जिनमे से अधिकतर झंडा रोहण के बाद पत्रकार बिरादरी के साथ थोड़ा गप्प-शप करके वापस राजधानी दून की ओर खिसक लेते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि मैं इतनी बात क्यो कर रहा हूं ये तो हम भी जानते है। मेरा निजी मत है कि जब सरकार मशीनरी को पौड़ी मे रहना ही नहीं है तो इनके कार्यालय और आवास पौड़ी में क्यों।

मेरा सरकार को सुझाव है कि इन मंडल स्तरीय अधिकारियों की परमानेंट तैनाती देहरादून, अपने पास ही कर दें और इनके पौड़ी स्थित कार्यालय और आवास परिसरों को श्रेणी के क्रम में राष्ट्रीय और स्थानीय होटल/पर्यटन करोबारियों को दे दिए जाने चाहिए ताकि एक उजड़ता शहर पर्यटकों से गुलजार हो सकेगा व स्थानीय व्यापरियो के मुरझाये चेहरे फिर खिल उठेंगें।

पर्यटन के दृष्टिकोण से एक और हिमालयी पर्यटन नगरी विश्व के सामने उभर कर आयेगी । जैसा की सरकार की भी यही इच्छा है कि प्रदेश में नये पर्यटन नगर विकसित किये जाएं ताकि पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोका जा सके ।

मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि आपका यह कदम पलायन रोकने के मंसूबो पर एक मील का पथर साबित होगा। साथ ही साथ अधिकारियों/ कर्मचारियों के मन की भी हो जाएगी और देहरादून में भीड़ इकट्ठी करने की शासन की भी इच्छा पूरी हो जाएगी ।

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