हिमालय के लिए कचरा सबसे बड़ी चुनौती

हिमालय दिवस के उपलक्ष्य मे ऑनलाइन सर्वे का परिणाम
देहरादून। जल, जंगल और जमीन के मुद्दे सदियों से उत्तराखंड मे पर्यावरण से जुड़े रहे हैं। पर्यावरण संरक्षण के मामले में जब भी कोई बात होती है तो इन तीनों के संरक्षण का मुद्दा अवश्य सबसे पहले सामने होता है। बीते कुछ वर्षों में कचरा पर्यावरण के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। आम लोगों को अब मानना है कि आज के दौर में उत्तराखंड में कचरा पर्यावरण के लिए जल, जंगल और जमीन से बड़ी चुनौती बन गया है।
हिमालय दिवस के उपलक्ष्य में सोशल डेपलपमेंट फॉर कम्युनिटी (एसडीसी) फाउंडेशन द्वारा करवाए गए एक ट्विटर ऑनलाइन सर्वे में लोगों ने अपनी राय रखी है। सर्वे में सवाल किया गया था कि आप उत्तराखंड में पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती किसे मानते हैं। उत्तर के रूप में चार विकल्प दिये गये थे, जल, जंगल, जमीन और कचरा।

फाउंडेशन अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि छह और सात सितम्बर के सर्वे में 359 लोगों ने भाग लिया। 22 प्रतिशत लोगों ने जंगल को, 15 प्रतिशत लोगों ने जल को और 13 प्रतिशत लोगों ने जमीन के मुद्दों को उत्तराखंड के पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना है। बाकी 50 प्रतिशत लोगों ने कचरे को पर्यावरण के लिए सबसे बड़ी चुनौती माना है।
अनूप ने इस सर्वे के परिणाम घोषित करते हुए कहा कि यह एक वैज्ञानिक विधि नहीं है। यह भी जरूरी नहीं कि हम इस ऑनलाइन सर्वे के नतीजों से कोई निश्चित धारणा बना लें, लेकिन यह सर्वे कम से कम इस तरफ तो संकेत करता ही है कि आम नागरिकों की नजर में कचरा उत्तराखंड में एक बड़ी समस्या बन गया है और अब लोग इसे पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा मानने लगे हैं।
कई यूजर्स ने सोशल मीडिया पर इस सर्वे के संबंध में अपनी राय भी दी है। राजू सजवान ने इन सबके लिए इंसान को दोषी बताया। एसजे का कहना है कि शहर में तो सब व्यवस्था है, लेकिन गांव के लोग क्या करें, यहां कूड़ा गदेरों में फेंका जाता है। हिमांशु व्यास कहते हैं, जल यहां शुद्ध है, जमीन उपजाऊ है। लोगों को और सैलानियों को समझाकर कचरे का समाधान निकल सकता है, लेकिन असली चिन्ता जंगल है। ऑल वेदर रोड व अन्य विकास कार्यों के नाम पर जंगलों को काटा जा रहा है।