ब्यूरोक्रेसी

विभागों में पुनर्नियुक्ति पर ‘ओम’ का सुप्रीम अंकुश

अब बताना होगा कि अन्य अफसर काम करने में नहीं हैं सक्षम

मुख्य सचिव ने जारी कर दिया आदेश

अब नहीं होंगी मनमानी पुनर्नियुक्तियां

देहरादून। सोशल मीडिया में तमाम विरोध के बाद भी मुख्य सचिव बनाए गए ओमप्रकाश ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए हैं। सीएस ने अपने नए आदेश में साफ कर दिया है कि अब कोई भी विभाग अपने स्तर से किसी अफसर या कार्मिक की पुनर्नियुक्ति नहीं कर पाएगा। ऐसा करने से पहले उसे यह लिखकर देना होगा कि अन्य अफसर या कार्मिक रिटायर हो रहे व्यक्ति का काम करने में सक्षम नहीं हैं। ऐसे में अपात्र कार्मिकों की अनिवार्य सेवानिवृत्ति पर विचार किया जाएगा।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश

उत्तराखंड में लंबे समय से अफसरों और कार्मिकों को पुनर्नियुक्ति देने की परंपरा चल रही है। कुछ ऐसे मामले भी हैं, जिनमें आरोपों को चलते वीआरआएस लिया और मोटी रकम पर पुनर्नियुक्ति पा गए। तमाम मामलों में तो कार्मिक और सतर्कता विभाग की सहमति भी नहीं ली गई। मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने इस पर रोक लगा दी है। मुख्य सचिव ने ओमप्रकाश ने आज आठ सितंबर को जारी आदेश में साफ कहा है कि आगे से ऐसा नहीं होगा। अगर कोई विभाग किसी की पुनर्नियुक्ति का प्रस्ताव करता है तो उसे कार्मिक एवं सतर्कता विभाग को भेजना होगा। साथ ही यह प्रमाणपत्र भी देना होगा कि सेवा निवृत्त हो रहे व्यक्ति की बाद ऐसा कोई नहीं है जो उनके काम को संभाल सके। इस प्रमामपत्र का इस्तेमाल काम कर रहे कार्मिक के प्रमोशन में इस्तेमाल किया जाएगा।

आदेश में यह भी कहा गया है कि जिन विभागों में पुनर्नियुक्ति दी गई है, वे यह सुनिश्चित कर लें कि अगले छह माह में कार्यरत कर्मचारी उस काम में प्रशिक्षित हो जाएं। 62 साल के अधिक आयु वालों को किसी भी दशा में पुनर्नियुक्ति न किया जाए। आदेश में कहा गया है कि इस आदेश का उल्लघंन करने वाले अफसरों से पुनर्नियुक्ति पाने वालों के वेतन और भत्तों की वसूली की जाएगी और इसे कदाचार माना जाएगा।

मुख्य सचिव ओमप्रकाश का यह आदेश भ्रष्टाचार पर सरकार के जीरों टॉलरेंस की नीति के तहत माना जा रहा है। अगर आज भी समीक्षा की जाए तो दर्जनों विभागों में लोग सेवा निवृत्त होने के बाद भी मोटी तनख्वाह पर काम कर रहे हैं। माना जा रहा है कि मुख्य सचिव का यह आदेश विभागों में चल रही चेहतों की मोटे वेतन पर पुनर्नियुक्ति पर एक करारा प्रहार साबित होगी।

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