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जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस की रणनीति तेज, दिल्ली में आयोजित हुई एक दिवसीय कार्यशाला

जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस की रणनीति तेज, दिल्ली में आयोजित हुई एक दिवसीय कार्यशाला

नई दिल्ली।

जातीय जनगणना को लेकर कांग्रेस पार्टी ने अपनी रणनीतिक तैयारी को धार देते हुए एक दिवसीय विशेष कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यशाला अखिल भारतीय कांग्रेस कम्युनिकेशन विभाग द्वारा नई दिल्ली स्थित इंदिरा भवन में आयोजित की गई, जिसमें देशभर से कांग्रेस के प्रवक्ता, मीडिया प्रमुख और विशेषज्ञ जुटे।

उत्तराखंड से कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने इस कार्यशाला में प्रतिभाग किया और प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से इसकी जानकारी साझा की। दसौनी ने बताया कि यह कार्यशाला केवल एक तकनीकी चर्चा न होकर कांग्रेस पार्टी की विचारधारा और सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण पहल थी।

कार्यशाला का उद्घाटन लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने किया। उन्होंने जातीय जनगणना को नारे से नीति में बदलने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा, “यह केवल एक जनगणना नहीं, बल्कि संविधान की आत्मा की रक्षा और सामाजिक न्याय की पुनः स्थापना का प्रयास है।” उन्होंने कहा कि “जितनी आबादी, उतनी भागीदारी” कांग्रेस का नारा नहीं, बल्कि राष्ट्रीय संकल्प बनना चाहिए।

राहुल गांधी ने स्पष्ट किया कि कांग्रेस पार्टी जातीय जनगणना की मांग को वर्षों से उठाती रही है—चाहे वह संसद हो, सड़कों पर आंदोलन हो या फिर पार्टी के घोषणापत्र। उन्होंने अप्रैल 2023 में प्रधानमंत्री को लिखे पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि बिना सही आंकड़ों के कोई भी सरकार यह दावा नहीं कर सकती कि वह सबको न्याय दिला रही है।

कार्यशाला का आयोजन कांग्रेस संचार विभाग के महासचिव जयराम रमेश और मीडिया प्रमुख पवन खेड़ा द्वारा किया गया। जयराम रमेश ने कहा कि जातीय जनगणना केवल आंकड़ों का विषय नहीं है, बल्कि यह वंचित वर्गों को उनका संवैधानिक अधिकार दिलाने का माध्यम है। उन्होंने संविधान के अनुच्छेद 15(5) को निजी शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण लागू करने के लिए प्रभावी रूप से लागू करने की बात दोहराई।

पवन खेड़ा ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में बराबरी के अवसर के बिना सामाजिक न्याय की कल्पना अधूरी है। उन्होंने 50% आरक्षण सीमा पर पुनर्विचार की बात उठाते हुए कहा कि बदलते सामाजिक आंकड़ों के आधार पर नीतियों को भी बदला जाना चाहिए।

तेलंगाना सरकार द्वारा पूर्ण की गई जातीय जनगणना को मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया गया। कार्यशाला में तेलंगाना के प्रतिनिधि ने इस प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी दी, जिसे अन्य राज्यों में लागू करने की सिफारिश की गई। झारखंड की आदिवासी मंत्री, कांग्रेस के एससी/एसटी प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय अध्यक्ष और ओबीसी विभाग के प्रमुखों ने भी अपने विचार रखे।

वर्चुअल माध्यम से जुड़े कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जातीय जनगणना केवल सामाजिक मांग नहीं, बल्कि राष्ट्रीय आवश्यकता है। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वह तेलंगाना जैसे सहभागी और पारदर्शी मॉडल को अपनाए।

गरिमा दसौनी ने कार्यशाला को “ज्ञानवर्धक, सशक्तिकरणकारी और अत्यंत आवश्यक” बताया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने प्रवक्ताओं से अपील की कि वे इस विषय को केवल चुनावी मुद्दा न मानें, बल्कि इसे वैचारिक संकल्प और सामाजिक जिम्मेदारी के रूप में लें।

अंत में राहुल गांधी ने सभी प्रवक्ताओं को धन्यवाद देते हुए कहा, “आप सब पार्टी की आवाज़ हैं। यह संवाद हमारी प्रतिबद्धता, हमारी एकजुटता और हमारे संघर्ष का प्रमाण है। आइए मिलकर ऐसा भारत बनाएं जहाँ हर नागरिक को सम्मान, भागीदारी और न्याय मिले।”

इस ऐतिहासिक कार्यशाला ने कांग्रेस की जातीय जनगणना को लेकर रणनीतिक दिशा स्पष्ट की और पार्टी की सामाजिक न्याय के प्रति प्रतिबद्धता को और मजबूत किया।

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