विस भर्तीः निरस्त होने से खासे असहज हैं संसदीय कार्य मंत्री
विपक्ष के सियासी तीरों का कैसे मुकाबला करेंगे प्रेम
सीएम के न होने पर इन्हें ही संभालना होगा पूरा सदन
सदन में निरुत्तर मंत्रियों के जवाब भी देने होंगे मंत्री को
देहरादून। विस का सत्र मंगलवार से शुरू हो रहा है। इस बार एक अहम बात ये हैं कि संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल विस में मनमानी नियुक्तियों के हाईकोर्ट से भी निरस्त होने से खासे असहज हैं। ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि प्रेम सदन में किस तरह से विपक्ष के सवालों का जवाब देते हैं। ये उस वक्त और अहम होगा जब कि नेता सदन यानि सीएम धामी सदन में मौजूद न होंगे।
मौजूदा संसदीय कार्यमंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने स्पीकर रहते विस में जो नियुक्तियां की थीं और वो सीना ठोंक कर कहते रहे हां कीं हैं मैंने। उनकी इन नियुक्तियों को पहले तो स्पीकर ने निरस्त किया। फिर स्पीकर के फैसले पर हाईकोर्ट की डबल बैंच ने भी मुहर लगा दी। जाहिर है कि प्रेम की नियुक्तियां अवैध थीं। अब प्रेम अवाम के सवालों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं और खासे असहज हैं।
प्रेम इस वक्त संसदीय कार्य़ मंत्री भी हैं। 29 से विस का सत्र शुरू हो रहा है। विपक्ष के सवालों का जवाव देने के साथ ही प्रश्नकाल में किसी मंत्री के फंसने पर उसे बचाने का जिम्मा भी संसदीय कार्य मंत्री का ही है। उनका ये पद उस वक्त और अहम हो जाता है,जबकि नेता सदन यानि कि सीएम सदन में न हों। अब सवाल ये है कि जो मंत्री अपनी ही नियुक्तियों को लेकर सवालों के घेरे में हो तो हमलावर विपक्ष के तीखे सियासी तीरों पर क्या जवाब देगा।
बहरहाल, इस पर भाजपा संगठन विचार कर ही होगा कि क्या आरोपों में घिरे एक पूर्व स्पीकर और मौजूदा मंत्री के सहारे ही विस सत्र को चलाया जाए या फिर कोई और व्यवस्था की जाए। लेकिन इतना तय है कि हाईकोर्ट की डबल बैंच के फैसले ने भाजपा को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि सदन में विपक्षी कांग्रेस के हमलों का किस तरह से जवाब दिया जाए।