राजनीति

राष्ट्रपति मुर्मू की जीत में उत्तराखंड कांग्रेस का भी योगदान

व्हिप जारी न होने का विधायकों ने उठाया फायदा

कांग्रेस के एक विधायक ने तो कर दी क्रास वोटिंग

तो एक ने अपना वैलेट पेपर ही कर दिया अमान्य

एक सामान्य हालात में भी नहीं आए वोट डालने

फिलवक्त कांग्रेस के दिग्गजों में मचा हुआ है हड़कंप

क्या कांग्रेस कर पाएगी उस ‘काली भेड़’ की पहचान

पहचान के बाद भी विधायक का कुछ भी न बिगड़ेगा

देहरादून। महामहिम राष्ट्रपति चुनी जा चुकी द्रोपदी मुर्मू की जीत में उत्तराखंड कांग्रेस ने भी अपना योगदान दिया है। धड़ों में बंटी कांग्रेस के एक विधायक ने तो सीधे तौर मूर्मू के पक्ष में मतदान किया तो एक दूसरे विधायक ने अपने मतपत्र का इस तरह से इस्तेमाल किया कि उसे अमान्य कर दिया गया। मतगणना के बाद यह रहस्य सामने आया तो सूबे के कांग्रेसी दिग्गजों में हड़कंप सा मचा है। दावे किए जा रहे हैं कि इस काली भेड़ की पहचान कर ली जाएगी। अहम बात यह भी है कि अगर कांग्रेस उस विधायक की पहचान कर भी लेती है तो उसका कुछ बिगाड़ नहीं पाएगी।

उत्तराखंड विस में कांग्रेस के 19 विधायक है। भाजपा के पास 47 विधायक हैं तो बसपा के दो और दो ही निर्दलीय उसके समर्थन की बात कर चुके हैं। इस लिहाज से विपक्ष के साझा उम्मीदवार यशवंत सिन्हा तो इस उत्तराखंड राज्य से 19 वोट तो मिलने ही चाहिए थे। एक विधायक तिलकराज बेहड़ बीमारी की वजह से नहीं आ सके तो भी 18 वोट मिलने चाहिए थे। लेकिन सिन्हा को उत्तराखंड से महज 15 वोट ही मिले।

एक विधायक राजेंद्र भंडारी सामान्य हालात होने के बाद भी वोट डालने नहीं आए। ऐसे में यह माना जा रहा था कि सिन्हा तो 17 वोट तो मिलेंगे ही। लेकिन नतीजों ने कांग्रेस नेताओं को चौंका दिया। सिन्हा को महज 15 वोट ही मिले। एक विधायक ने अपने मतपत्र का पता नहीं कैसे इस्तेमाल किया कि उसे अमान्य कर दिया गया। अप्रत्याशित रूप से सामने आया कि किसी एक कांग्रेसी विधायक ने क्रास वोटिंग करके मूर्मू के पक्ष में मत दिया।

इस खुलासे के बाद कांग्रेसी खेमे में हड़कंप मचा है। प्रदेश अध्यक्ष करन मेहरा ने नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य से कहा कि पता लगाया जाए कि वह काली भेड़ कौन है, जिसने पार्टी लाइन के खिलाफ काम किया है। आर्य कह रहे हैं कि विधायक की पहचान करके उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

सवाल यह भी है कि अगर पहचान हो भी जाती है तो विधायक का क्या बिगड़ने वाला है। इस चुनाव में व्हिप जारी नहीं होता है। लिहाजा उनकी सदस्यता पर किसी तरह की आंच आने वाली नहीं है। अगर कांग्रेस उसे निष्कासित भी करती है तो भाजपा उसका स्वागत करने को तैयार ही बैठी है।

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