गठबंधन से टिकट मिला था विधायकी नहीं
भाजपा-अकाली दल के बीच दरार के बीच चीमा पर इस्तीफे से इंकार
कांग्रेस व आप का विधायक चीमा पर सियासी हमला
विधायक रहकर चीमा खुद को साबित कर रहे किसान विरोधी
सत्तारूढ़ दल भाजपा ने तो इस मुद्दे पर साध रखा है मौन
अकाली नेता ने केंद्र में भी गठबंधन छोड़ा है सांसदी नहीं
काशीपुर। केंद्र में भाजपा और अकाली दल के बीच आई सियासी दरार का असर काशीपुर में भी दिख रहा है। कांग्रेस और आप दोनों ही अकाली कोटे से टिकट पाकर विधायक बने हरभजन सिंह चीमा पर हमलावर हैं। इस पर चीमा ने विधायकी से इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया है। उन्होंने इशारों में कहा कि गठबंधन से टिकट मिला था विधायकी नहीं। वैसे भी केंद्र में भी अकाली नेता हरसिमरत कौर ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया है सांसदी से नहीं।
वाक्या 2002 का है। उस वक्त भाजपा और अकाली दल के बीच सियासी गठबंधन हुआ था। पंजाब में अपनी रिश्तेदारी और ताल्लुकातों की दम पर उद्योगपति हरभजन सिंह चीमा अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष थे। स्थानीय भाजपा नेताओं के तमाम विरोध के बाद भी भाजपा हाईकमान ने काशीपुर सीट अकाली कोटे में दे दी। यह अलग बात है कि चीमा को भाजपा के चुनाव चिंह्न पर जीत मिली। तब से अब तक काशीपुर सीट अकाली कोटे में ही जाती रही और चीमा विधायक बनते रहे।
अब ताजा हालात में केंद्रीय स्तर पर भाजपा और अकाली दल का गठबंधन किसान हितों के मुद्दे पर टूट चुका है। केंद्र में अकाली दल कोटे से केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर ने मोदी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है। अकाली दल पूरी तरह के केंद्र सरकार द्वारा किसानों के बारे में पारित किए गए विधेयकों के विरोध में हैं। ऐसे में इसकी आंच हरभजन सिंह चीमा तक भी पहुंच गई है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने चीमा पर किसान विरोधी होने का आरोप लगा दिया है। इन सियासी दलों का कहना है कि चीमा अगर किसान हितैषी हैं तो विधायकी से इस्तीफा दे।
लेकिन चीमा ने इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया है। उन्होंने साफ तौर पर तो नहीं कहा पर ये इशारा जरूर किया कि भले ही टिकट अकाली दल के कोटे से मिला हो पर विधायकी तो वे अपनी दम पर ही जीते हैं। केंद्र में भी गठबंधन में दरार आई है तो क्या अकाली कोटे से जीते सांसद भी सांसदी से इस्तीफा दें। चीमा ने यह जरूर कहा कि केंद्र को किसानों की बात सुननी चाहिए।