खुलासा

वित्त पोषित 18 डिग्री कालेजों पर संकट !

सरकार का तर्कः नियम चलें केंद्र के तो राज्य क्यों दे पैसा

दून का डीएवी, डीबीएस, एमकेपी, डीडब्ल्युटी और एसजीआरआर

हरिद्वार का चिन्मयानंद, एमएसजेएन और महिला सतीकुंड भी

मसूरी का एमपीजी और लक्सर का चमनलाल डिग्री कालेज

पैठाणी का राठ महाविद्यालय और रुड़की के चार कालेज

देहरादून। सरकार की वित्तीय सहायता से चल रहे निजी प्रबंधन वाले गढ़वाल के 18 कालेजों पर वित्तीय संकट मंडरा रहा है। सरकार का तर्क है कि ये कालेज केंद्र सरकार के नियमों से चल रहे हैं तो राज्य सरकार इन कालेजों को वित्तीय सहायता क्यों दे। अहम बात यह भी है कि सरकार को इन बात की याद 11 साल बाद आई है।

गढ़वाल मंडल के लगभग 18 कालेजों का संचालन निजी प्रबंधन द्वारा किया जाता है। राज्य सरकार की ओर से इन कालेजों को हर साल तकरीबन एक सौ करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। ये सभी कालेज गढ़वाल विवि से संबद्ध हैं। यह विवि पहले राज्य सरकार के अधीन था। लेकिन 2009 के बाद इसे केंद्रीय विवि बना दिया गया। ये सभी 18 कालेज आज भी इसी केंद्रीय विवि से संबद्ध है। यही वजह है कि इनमें अध्ययन करने वालों को केंद्रीय विवि की डिग्री मिलती है।

अब 2020 में यानि 11 साल बाद उत्तराखंड सरकार को इस मामले की याद आई। विधि विभाग के परीक्षण कराया गया तो पता चला कि केंद्रीय विवि से संबद्ध इन कालेजों को राज्य सरकार वित्तीय सहायता किसी भी नियम के तहत नहीं दे सकती है। बताया जा रहा है कि दरअसल, उच्च शिक्षा विभाग की ओर से इन कालेजों को कोई निर्देश दिया गया था। कालेज प्रबंधन ने यह कहते हुए इन पर अमल नहीं किया कि कालेज केंद्रीय विवि से संबद्ध हैं। लिहाजा राज्य के नियम लागू नहीं हो सकते। इसके बाद से ही उच्च शिक्षा विभाग के इन कालेजों पर अपनी निगाहें तिरछी कर ली हैं।

अहम बात यह है कि अगर राज्य सरकार ने इन कालेजों को वित्तीय सहायता देने से हाथ खड़े कर दिए तो इनके शिक्षकों और अन्य स्टाफ के साथ ही खर्चों के लिए पैसा कहां से आएगा। ऐसे में इन कालेजों के सामने बंदी का संकट भी खड़ा हो सकता है। अगर ऐसा हुआ तो इन कालेजों में अध्ययन कर रहे हजारों छात्र और छात्राओं का क्या होगा।

इन कालेजों के लिए राहत की बात यह है कि सरकार ने हालात की समीक्षा के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी बताएगी कि इन मामले में नियमानुसार क्या किया जा सकता है। इस कमेटी विधि विभाग की ओर से दी गई राय का भी अध्ययन करेगी।

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