राजनीतिक कयास तेज, भाजपा में नए समीकरण की सुगबुगाहट
दीनदयाल के द्वार पर तोगड़िया देंगे दस्तक
मौजूद रहेंगे संघ व भाजपा के कई दिग्गज
देहरादून। कभी संघ और विहिप की ‘आंखों का तारा’ रहे उनके बागी नेता डाक्टर प्रवीण भाई तोगड़िया सात जनवरी को देहरादून आ रहे हैं। यहां दिनभर उनके व्यस्त-कार्यक्रम हैं। वे दोपहर में मीडिया से भी बातचीत करेंगे। साथ ही भारतीय जनसंघ के प्रेरणा एवं स्थापना पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय के प्रपौत्र न्यायविद चन्द्रशेखर उपाध्याय के आवास पर भी जाएंगे। राजनीतिक विश्लेषक एवम् पण्डित इस प्रस्तावित मुलाक़ात के निहितार्थ तलाश रहे हैं।
चन्द्रशेखर एवम् तोगड़िया दोनों का अपना एक वजूद है । दीनदयाल के प्रपौत्र देश की शीर्ष-अदालतों में हिन्दी एवम् अन्य भारतीय भाषाओं में कामकाज शुरू कराने एवम् निर्णय भी पारित किये जाने हेतु ‘हिन्दी से न्याय ‘ इस देशव्यापी अभियान चल रहा है। उनकी टीमों ने संविधान के अनुच्छेद 348 में संशोधन की अपनी मांग के समर्थन में देश भर के लगभग डेढ़-करोड़ से भी अधिक लोगों से हस्ताक्षर कराए हैं। अभियान के समन्वयक भास्कर राव का कहना है कि प्रत्येक भारतवंशी से आग्रह किया गया है कि वह मुहिम के समर्थन में कम से कम दस लोगों के हस्ताक्षर प्राप्त करें। एक परिवार में अमूमन चार या पाँच सदस्य होते ही हैं,इस प्रकार छह करोड़ से ज्यादा देशवासियों से हमने प्रत्यक्ष संवाद किया है, इस संख्या को दस गुना करें तो लगभग साठ करोड़ भारतवंशी हमारे साथ हैं।
उधर तोगड़िया संघ व भाजपा के तरकश के तीरों को बखूबी समझते हैं और उन्हें भेदने की कला से भी वाकिफ हैं। तोगड़िया ने नौ फरवरी, 2019 को जिस दिन अपने दल के गठन की घोषणा की थी, उसी दिन नौ राष्ट्रीय महामंत्री नियुक्त कर दिए थे, वे सभी संघ के पूर्व प्रचारक एवम् विस्तारक थे। तोगड़िया जब यह कहते हैं कि मेरे साथ साइकिल पर घूमने वाले और गुड़-चना खाने वाले राजमहलों और हैलीकॉप्टर तक पहुंच गए हैं तो तालियां गूंजने लगती हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि अगर दोनों मिलकर भाजपा के विरोध में कोई फैसला लेते हैं तो पार्टी को इसकी राजनीतिक कीमत चुकानी होगी। इसी के मद्देनजर सुलह-समझौते की कोशिशें शुरू हुई, संघ के चुनिंदा-प्रचारकों को इसकी जिम्मेदारी दी गयी, देहरादून में सात जनवरी को चन्द्रशेखर व तोगड़िया की मुलाकात उसी ‘कसरत ‘ का नतीजा है।