एक्सक्लुसिव

हरिद्वार महाकुंभ का आयोजन उत्तराखंड सरकार के लिए बड़ी चुनौती 

14 जनवरी 2021 को मकर संक्रांति के स्नान से महाकुंभ का शुभारंभ होगा

केंद्र सरकार ने 1000 करोड़ के रिवाइज प्रस्ताव पर मात्र 375 मंजूर किए 

कोरोना संक्रमण से बिगड़े आर्थिक हालातों को पटरी पर लाने में लगेगा काफी समय

न्यूज वैट ब्यूरो

देहरादून। हरिद्वार में महाकुंभ 2021 के भव्य आयोजन को दस माह का समय भी नहीं बचा है। अभी बहुत सारे स्थाई और अस्थाई निर्माण के कार्य होने बाकी हैं। केंद्र सरकार ने महाकुंभ के लिए कम से कम करते हुए  मात्र 375 करोड़ का बजट स्वीकृत किया हैं, जिसे पूर्व में भेजे गए लगभग 3000 करोड़ के प्रस्ताव के सापेक्ष बहुत कम बताया जा रहा है. वहीं राज्य सरकार के आर्थिक हालात किसी से छिपे नहीं हैं। इन स्थितियों से महाकुंभ के आयोजन की व्यवस्थाएं जुटाना राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। 
हरिद्वार में 14 जनवरी के मकर संक्रांति स्नान से महाकुंभ 2021 का भव्य आयोजन शुरू हो जाएगा। महाकुंभ में देश विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का आना होगा। कोरोना के संक्रमण से उपजे आर्थिक हालात राज्य सरकार के सामने चुनौतियां पैदा करेंगे, ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है, क्योंकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने महाकुंभ के आयोजन के लिए उत्तराखंड सरकार को 375 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है। 
राज्य सरकार ने शुरुआत में महाकुंभ संबंधी व्यवस्थाओं और निर्माण कार्यों के लिए केंद्र सरकार को 3000 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा था, जिसको रिवाइज करके भेजने को कहा गया था। इसके बाद राज्य सरकार ने एक हजार करोड़ का प्रस्ताव भेजा, जिस पर केंद्र ने मात्र 375 करोड़ रुपये की स्वीकृति प्रदान की। 
उधऱ, राज्य सरकार के आर्थिक हालात ऐसे नहीं हैं कि वो केंद्र की मदद के बिना महाकुंभ की तैयारियां कर सके। राज्य ही नहीं पूरा देश कोरोना संक्रमण से जूझ रहा है। राज्य में कोरोना संक्रमण के कारण आय के प्रमुख स्रोत जीएसटी, आबकारी और खनन पूरी तरह से बंद हैं। औद्योगिक इकाइयां भी नहीं चल रहीं। वहीं पर्यटन और परिवहन पर भी विराम लगा है। 
कोरोना संक्रमण से निपटने के बाद आर्थिक हालात कुछ अच्छे नहीं होने वाले हैं, ऐसे संकेत लगातार मिल रहे हैं। राज्य सरकार को आर्थिक स्थिति को पटरी पर लाने के लिए काफी मशक्कत करनी होगी। इन सभी विषम स्थिति में राज्य सरकार को दस माह बाद शुरू होने वाले महाकुंभ के आयोजन के लिए अभी से केंद्र सरकार से बड़े आर्थिक बजट की आवश्यकता होगी।
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