तमाम पर्यटक करा रहे बुकिंग रद, होटल व्यवसाय पर संकट
समझना होगा तीर्थाटन और पर्यटन में फर्क
तमाम पर्यटक तो यहां आ रहे हैं केवल घूमने
होटल समेत अन्य इंतजाम की है अग्रिम बुकिंग
फिर भी हरिद्वार-ऋषिकेश में रोका जा रहा इन्हें
धाम में जाने से रोकिए देवभूमि में आने से नहीं
देहरादून। चारधाम यात्रा के लिए सरकार ने पंजीकरण जरूरी कर दिया है। लेकिन इसकी आड़ में उन पर्यटकों को भी रोका जा रहा है, जो अपनी तमाम व्यवस्थाओं के लिए ऑनलाइन बुकिंग करवा चुके हैं। मजबूरन उन्हें अपनी बुकिंग केंसिल करानी पड़ रही है। ऐसे में पर्वतीय क्षेत्र के पर्यटन और होटल व्यवसाय पर संकट खड़ा हो रहा है।
सवाल यह है कि क्या इन दिनों उत्तराखंड केवल और केवल तीर्थाटन प्रदेश है और यहां पर्यटन का कोई स्कोप सरकार या उसके जिम्मेदार अधिकारियों को नहीं दिखाई देता। सवाल सीधा सा है कि क्या लोग बद्रीनाथ,केदारनाथ,गंगोत्री,यमुनोत्री धामों की तरफ केवल और केवल मंदिर दर्शन के लिए ही जा सकते हैं। या पर्यटन के लिए भी इन स्थानों पर कुछ है। वो प्रकृति, मेडिटेशन, एडवनेचर, ट्रेकिंग, शांति आदि आदि वाला पर्यटन।
सवाल यह भी है कि अगर कोई पर्यटक होटल की कन्फर्म बुकिंग, अधिकृत वाहन के साथ किसी धाम के नजदीक जा रहा और उसके पास धाम में यात्रा करने का आन लाइन पास नहीं है तो उसे ऋषिकेश हरिद्वार या उस बुकिंग वाले प्रवास स्थल से पहले ही क्यों रोका जा रहा है। ऐसे लोगों को मंदिर में मत जाने दीजिए क्योंकि उनके पास आन लाइन पास नहीं है। अगर उसके पास होटल की बुकिंग है। मतलब वह उस जगह की कैरिंग कैपेसिटी के अंतर्गत ही आ रहा है। तो उसे को महज इसलिए रोका क्यों जाए कि उसके पास मंदिर के अंदर दर्शन का पास नहीं है।
इस बारे में समाजसेवी अखिलेश डिमरी ने सरकार को एक खुला पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि इस सूबे के जिम्मेदार लोक सेवकों पर्यटन के कारण आर्थिकी पर पड़ रहे प्रभावों का आंकलन किया है। अगर इन्हें सूबे की आर्थिकी से मतलब होता तो इस वक्त ये उन होटल ढाबे वालों की तरफ नजर मारते हुए यात्रा का नियोजन करते जो कि दिखाई नहीं देता। चार धामों में जाने के लिए संख्या निर्धारित है लेकिन यदि पर्यटन और होटल व्यवसायियों की तरफ नजर मारी जाती तो उनकी भी कैरिंग कैपेसिटी है। काश सिस्टम ने कि आपकी ने कुछ यूं किया होता कि यात्रियों पर्यटकों को यात्रा रुट में होटल की कन्फर्म बुकिंग व अधिकृत वाहन के साथ आने की शर्त रख दी होती और पर्यटक को उस जगह तक जाने से कत्तई न रोका जाता जहां तक कि उसके पास उस दिवस की कन्फर्म होटल बुकिंग है तो अव्यवस्थाओं का मंजर ऋषिकेश हरिद्वार में ही न पसरा होता और पर्यटन व्यवसायियों के विरोध का भी सामना भी न होता।
खुले खत में लिखा है कि अगर सिस्टम ने होटल की कन्फर्म बुकिंग के साथ स्थान विशेष की यात्रा करने की शर्त कोलागू किया होता तो न मनमाने दाम के आरोप लगते और न ही सूबे का पर्यटन सवालों के घेरे में आता बल्कि देश विदेश से आने वाले लोग भी सरकार की प्रशंसा ही करते। पर्यटन व्यवसायियों, होटल स्वामियों आदि आदि जिन्होंने कि लाखों रुपये का कर्ज लिया हुआ है उनके लिए यहां तक कि दूर दराज से आये हुए पर्यटकों के लिए केवल और केवल अफसोस है।