एक्सक्लुसिव

एलर्टः निजी लैब में ज्यादा हैं पॉजिटिव केस

सरकारी लैब की तुलना में डेढ़ फीसदी से अधिक हैं कोरोना के मामले

अफसरों ने सीमा पर टेस्टिंग का अधिकार दिया निजी लैब को

देश के किसी भी राज्य में नहीं है इस तरह की कोई व्यवस्था

देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना अपने पांव तेजी से पसार रहा है। अहम बात यह भी है कि सरकारी लैब की तुलना में निजी लैब संक्रमितों की संख्या खासी ज्यादा बता रहे हैं। एक रिसर्च के अनुसार निजी लैब की ओर से की जा रही जांच में सरकारी लैब के आंकड़ों में डेढ़ फीसदी का इजाफा है। एक तरफ निजी लैब की फीस ज्यादा तो अफसरों ने राज्य की सीमा पर कोरोना जांच का जिम्मा निजी लैब को ही दे दिया है। खास बात यह भी है कि उत्तराखंड देश का अकेला राज्य हैं जहां आने के लिए पंजीकरण और कोरोना नेगेटिव की व्यवस्था अफसरों ने की है।

गैर सरकारी संगठन सोशल डेवलममेंट फार कम्युनिटी फाउंडेशन की ओर से कोरोना को लेकर सरकार द्वारा जारी की जाने वाली रिपोर्ट पर रिसर्च की जाती है। इस संस्था के मुखिया अनूप नौटियाल ने एक से 17 सितंबर के आंकड़ों की समीक्षा की है। इनके नतीजे चौंकाने वाले हैं। अनूप के अनुसार एक से 17 सितंबर के बीच राज्य में 17,500 टेस्ट किए गए। इस अवधि में संक्रमण की दर 9.83 फीसदी रही। इनमें से 55 फीसदी टेस्ट निजी लैब और 45 फीसदी सरकारी लैब में किए गए।

अनूप के मुताबिक इनमें जब रिपोर्ट आई तो निजी लैब की रिपोर्ट में संक्रमण की संख्या10.42 फीसदी रही। पर सरकारी लैब का आंकड़ा महज 9.12 फीसदी ही रहा। इस लिहाज से निजी लैब और सरकारी लैब में जांच के नतीजों में 1.30 का अंतर है।

एक तरह आंकड़े निजी लैब की जांच सवाल खड़े कर रहे हैं। वहीं उत्तराखंड के अफसरों ने उत्तराखंड की सीमाओं पर कोरोना जांच का काम निजी लैब को सौंप दिया है। उत्तराखंड देश का पहला राज्य है, जहां आने के लिए आपको पहले तो एक पोर्टल पर पंजीकरण कराना होगा, साथ ही कोरोना नेगेटिव की रिपोर्ट भी लानी होगी। अगर आपके पास कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट नहीं हैं तो अफसरों द्वारा तय की लैब से आपको टेस्ट कराना होगा और 2250 रुपये भी देने होंगे। अहम बात यह भी है कि यूपी ने निजी लैब से जांच की कीमत 1600 रुपये तय कर रखी है पर उत्तराखंड के अफसरों ने इसे 2250 कर दिया है।

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