एक्सक्लुसिव

आखिरकार पीआईएल क्यों वापस लेना चाहता था याचिकाकर्ता ?

सुप्रीम कोर्ट के रुख से बेनकाब होंगे कई चेहरे !

11 साल पहले की एक एफआईआर से जुड़ रहे हैं ‘तार’

दिल्ली सचिवालय में बताया जा रहा है ‘मास्टर माइंड’

देहरादून। उत्तराखंड कैडर के एक आईपीएस अफसर और पत्रकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक पीआईएल का मामला खासा पेंचीदा दिख रहा है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि इतने गंभीर आरोप लगाने वाला याची आखिरकार सुप्रीम कोर्ट से अपनी याचिका क्यों वापस लेना चाहता था। शीर्ष अदालत ने इसकी अनुमति नहीं दी और केंद्रीय एजेंसियों से जवाब मांग लिया। बताया जा जा रहा कि इस मामले के तार अल्मोड़ा जिले की एक जमीन और विजिलेंस के एक मुकदमे से जुड़े हैं। इसका मास्टर माइंड दिल्ली सचिवालय में सेवारत है और इस समय अरेस्ट स्टे पर जेल से बाहर है।

विगत दिवस लाइव लॉ नाम की एक वेबसाइट की एक खबर से उत्तराखंड की ब्यूरोक्रेसी में खासी हलचल है। न्यूज वेट ने इसकी पड़ताल करने की कोशिश की। पहला सवाल यह सामने आया कि यूपी निवासी निशांत रोहल ने सुप्रीम कोर्ट से अपनी पीआईएल वापस लेने की कोशिश क्यों की। क्या उसे इस बात का खतरा था कि सत्यता सामने आने पर इसका नतीजा कुछ और ही होगा। लेकिन सुप्रीम अदालत ने इसे स्वीकार नहीं किया और कहा कि आपके आरोप बेहद गंभीर किस्म के हैं और सच्चाई सामने आनी चाहिए। इसके बाद सुप्रीम अदालत ने केंद्रीय एजेंसियों को नोटिस जारी करके पहले हुईं शिकायतों पर जवाब मांगा है। माना जा रहा है कि केंद्रीय एजेंसियों की जांच रिपोर्ट से कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।

इधर बताया जा रहा है कि इस मामले के तार अल्मोड़ा जिले के एक मुकदमे और हल्द्वानी विजिलेंस में दर्ज एक एफआईआर से भी जुड़े हो सकते हैं। सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2011 में कोतवाली अल्मोड़ा में ज़मीन ख़रीद-फरोख्त में धोखाधड़ी का एक मुकदमा दर्ज हुई। इसकी विवेचना के दौरान आरोपियों ने तत्कालीन विरुद्ध झूठी शिकायत नैनीताल उच्च न्यायालय में की गई। हाईकोर्ट ने इसकी जांच विजिलेंस सेल हाईकोर्ट नैनीताल को दी गई। इसकी जांच विजिलेंस के निरीक्षक श्याम सिंह रावत (इसका नाम भी पीआईएल में है) ने की ओर सिविल पर लगे आरोप झूठे पाए। जांच रिपोर्ट पर का संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने एसपी (विजिलेंस, हाईकोर्ट) अमित श्रीवास्तव (पीआईएल में आरोपी) के माध्यम से सतर्कता अधिष्ठान नैनीताल हल्द्वानी में अभियुक्तगण के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कर विवेचना करने के आदेश दिए। विवेचना के दौरान भी यह तथ्य साबित हुआ कि अभियुक्तगणों ने षडयंत्र रचते हुए झूठी शिकायत की थी। इस मामले में एक महिला अभियुक्त गिरफ्तार की जा चुकी है और बाकी ने गिरफ्तारी स्टे ले लिया है।

बताया जा रहा है कि इस मामले का मास्टर माइंट दिल्ली सचिवालय में तैनात है। इसके और इसकी पत्नी की एक संस्था पर डांडा कांडा रानीखेत में है तथा अल्मोड़ा जनपद में अन्य भू संपत्तियां भी हैं। 

बहरहाल, इस मामले में याची के आरोपों में कितनी सच्चाई और याची अपनी याचिका क्यों वापस लेना चाहता था, यह तो केंद्रीय एजेंसियों की और से माननीय सुप्रीम कोर्ट को भेजे जाने वाले जवाब से ही साफ होगा। लेकिन अब तक की पड़ताल से लग रहा है कि मामला इतना सामान्य नहीं है, जितना पहली नजर में दिख रहा है।

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