एक्सक्लुसिव
कोरोनाः बदलते फैसले या हड़बड़ी में शासनादेश

तीन रोज में मुख्य सचिव को दो आदेशों में करना पड़ा है संशोधन
न्यूज वेट ब्यूरो
देहरादून। कोरोना को लेकर शासन स्तर से किए जा रहे आदेशों ने भ्रम की स्थिति बन रही है। अब तक दो आदेशों को मुख्य सचिव के स्तर से संशोधित करना पड़ा है। ऐसे में सवाल यह खड़ा हो रहा है कि शासन स्तर पर हो रहे फैसले चंद घंटों में ही बदल रहे हैं या फिर आदेश जारी करने में हड़बड़ी की जा रहा है।
तीन रोज पहले मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने अफसरों के साथ कोरोना के हालात पर समीक्षा की। इसमें तमाम फैसले लिए गए। इसके बाद अपर मुख्य सचिव के स्तर से एक आदेश जारी किया गया। इसमें कहा गया कि अधिकारियों और कर्मचारियों को अगले आदेश तक सचिवालय नहीं आना है। बहुत जरूरी होने पर अफसरों के बुलाने पर ही लोग सचिवालय आएंगे। यह आदेश चंद मिनटों में ही सोशल मीडिया में वायरल हो गया। इसके बाद सवाल उठाए गए कि क्या अन्य सरकारी कर्मचारियों को कोरोना का खतरा नहीं है। आखिर जिलों तक के दफ्तरों में यह आदेश क्यों लागू नहीं किया। विवाद की आशंका के मद्देनजर इस आदेश को मुख्य सचिव के स्तर से नया और संशोधित शासनादेश लागू किया गया।
इसी तरह से विगत दिवस शनिवार को गृह विभाग की ओर से एक आदेश जारी किया गया। इसमें कहा गया था कि कोरोना को देखते हुए देशी और विदेशी सभी अतिथियों का उत्तराखंड में प्रवेश अगले आदेशों तक प्रतिबंधित किया जाता है। यह आदेश भी तत्काल ही वायरल हो गया। इस पर भी तमाम सवाल उठाए गए कि क्या उत्तराखंड में हालात इतने खराब हो चुके हैं। बाद में एक बार फिर मुख्य सचिव के स्तर से आदेश किया गया कि किसी भी देशी या विदेशी अतिथि के आने पर रोक नहीं है। अलबत्ता उनका उत्तराखंड में रुकना (प्रवास) प्रतिबंधित किया जा ता है।
लगातार दो आदेशों में संशोधन से एक सवाल यह खड़ा हो रहा कि शासन स्तर से अपने फैसलों में बार-बार बदलाव किया जा रहा है या फिर शासनादेश जारी करने में हड़बड़ी की जा रही है। सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि क्या निजी सचिव स्तर से टाइप होकर आ रहे आदेशों पर अफसर आंख बंद करके ही हस्ताक्षर कर रहे हैं।