ब्यूरोक्रेसी

त्रिवेंद्र सरकार के अफसर भागने की जुगत में

कोई जा रहा स्टडी लीव पर तो कई केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर

वित्त विभाग तो हो जाएगा अनाथ

देहरादून। त्रिवेंद्र सरकार में अहम ओहदो पर रहे अफसर अब उत्तराखंड से किनारा करते दिख रहे हैं। कोई पढाई के नाम पर भाग रहा है तो कोई केंद्रीय प्रतिनुयुक्ति के नाम पर। सवाल ये है कि क्या इन अफसरों की राज्य के प्रति कोई जिम्मेदारी नहीं है। इस कैडर में होने के वाद भी क्या केवल अपने निहितार्थ की खातिर ये ही काम करेंगे।

आईएएस ही किसी राज्य की सरकार के मुखिया होते हैं। यही लोग तय करते हैं कि सरकार की नीयत क्या है। लेकिन देखने में आ रहा है कि ये अफसर भी सियासी  फेर में आ गए हैं। इसे इस तथ्य के प्रकाश में देखें कि त्रिवेंद्र सरकार के समय में सत्ता का केंद्र रहे अफसर उत्तराखंड से भाग रहे हैं।

अल्मोड़ा के डीएम रहे सबिन बंसल हायर स्टडी के लिए यूके जा चुके हैं। त्रिवेंद्र की नाक का बाल रहे नीरज खैरवाल तो एक एनसीआर में एक विवि में पढ़ाने जा चुके हैं।

त्रिवेंद्र सरकार में सत्ता का केंद्र रही राझिका झा पहले तो सीसीएल लीव पर  रहीं और अब केंद्र में एक पीएसओ में जाने के लिए एनओसी की बात कर रही हैं। उनके पति नितेश झा भी पोस्टिंग को लेकर नाराजगी जता चुके हैं। मनीषा पंवार भी अपने पति के पास विदेश जाने की अर्जी लगा चुकी हैं। सूत्रों का कहना है कि वित्त सचिव अमित नेगी और प्रमुख सचिव आरके सुधांशु भी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने को एनओसी ले चुके हैं।

सबसे बुरी हालत वित्त विभाग की होने वाली है। अमित नेगी के केंद्र में जाने के बाद विभाग सौजन्या के हाथ आएगा। लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू के होने के बाद उनके पास वित्त विभाग के लिए वक्त ही बचेगा।

ऐसे में सरकार किन अफसरों से काम कराएगी। सरकार इस वक्त तमाम घोषणाएं कर रही हैं। लेकिन सीएम की घोषणा पर अफसरों के दस्तखत से ही होगा। सवाल ये है कि जब अफसर ही न होंगे तो काम कैसे होगा। विभागों के अपर सचिव तो सत्ता संभालने की स्थिति में नहीं होंगे।

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