ब्यूरोक्रेसी

संदेशःलापरवाही छोड़ो या अहम ओहदा

चुनावी मोड में आई सरकार ने ब्यूरोक्रेसी पर शुरू किए प्रहार

देहरादून। जनप्रतिनिधि लंबे समय से यह आरोप लगाते रहे हैं कि अफसरशाही उनकी सुन नहीं रही है। अब चुनावी मोड में आती दिख रही सरकार ने अपने कुछ फैसलों से अफसरों को साफ संदेश दे दिया है कि अब लापरवाही सहन नहीं की जाएगी। अफसरों को जनप्रतिनिधियों की बात माननी होगी। ऐसा न करने पर उन्हें अहम पदों से विदाई दे दी जाएगी।

विधायकों की लंबे समय से यह नाराजगी चल रही है कि अफसर उनकी बात सुन ही नहीं रहे हैं। लोकतंत्र में यह व्यवस्था है कि व्यवस्थापिका (जनप्रतिनिधि) जो भी फैसला लेते हैं, उस पर अमल कार्यपालिका (अफसरशाही) के दस्तखतों से होता है। ऐसे में कुछ अफसर अपनी मनमानी करते रहते हैं। विधायक ही नहीं कई मंत्री भी अफसरों की इस कार्यशैली से खफा थे। आलम यह रहा कि पूर्व पीसीसीएफ के कई आदेशों को उनके रिटायरमेंट के बाद निरस्त तक करना पड़ा। एक विधायक राजेश शुक्ला को तो विशेषाधिकार हनन का नोटिस तक देना पड़ा था।

अब चुनाव नजदीक देख सरकार सख्त तेवर अपना रही है। सीएम त्रिवेंद्र के दो तत्कालिक फैसले इस बात की इशारा कर रहे हैं कि अफसरों की मनमानी के दिन अब लद गए। अफसरों को व्यवस्थापिका का सम्मान करना ही होगा। इसे इस तथ्य के प्रकाश में देखें कि अपर मुख्य सचिव जैसे ओहदे पर रहकर कई अहम विभागों का काम देख रहीं आईएएस अफसर मनीषा पंवार से सरकार ने एक झटके में सारे विभाग छीन लिए। सूत्रों ने बताया कि व्यवस्थापिका ने उन्हें जनहित के कुछ अहम काम बताए थे। पर उन्होंने उन पर अमल नहीं किया। नतीजा यह रहा कि उनसे अहम विभाग वापस ले लिए गए।

इसी तरह रुद्रप्रयाग की डीएम वंदना को भी तत्काल हटा दिया गया। उन्होंने सीएम की वीडियो कांफ्रेसिंग को हल्के में लिया। दो बार की मीटिंग में उन्होंने रुचि नहीं ली तो तीसरी बार भी वो मीटिंग में अंतिम समय से शामिल हुईं। इससे सीएम उस जिले की समीक्षा ही न कर सके। प्रमुख वन संरक्षक रहे जयराज ने मनमर्जी से दो अहम आदेश कर दिए। यह अलग बात है कि दोनों फैसलों को उनके पद से हटन के बाद निरस्त किया गया। अगर अफसरशाही पहले से एलर्ट होती तो शायद ये नौबत ही न आती।

गौरतलब है कि पिछले दिनों भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बंशीधर भगत भी कह चुके हैं कि संगठन में असली नाराजगी अफसरों की कार्यशैली को लेकर है। अब चुनावी मोड में आ चुकी त्रिवेंद्र सरकार इस अफसरशाही पर अंकुश करने की कोशिश में है। देखना होगा कि इसमें सरकार को कितनी सफलता मिलती है।

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