पर्वतीय वोटरों में बढ़ रही है सीएम धामी की स्वीकार्यता

चुनावी नतीजों के विश्लेषण से मिले संकेत
2022 में पुष्कर के नेतृत्व में भाजपा को मिला प्रचंड बहुमत
एमसीडी चुनाव में भाजपा ने जीतीं धामी के प्रचार वाली सीटें
पीएम मोदी भी सार्वजनिक तौर पर सीएम केसकाम को सराहा
देहरादून। 2021 में युवा पुष्कर सिंह धामी को सीएम बनाकर जो सियासी दांव चला था, उसके नतीजे दिखने लगे हैं। भाजपा ने धामी के चेहरे पर उत्तराखंड विस का चुनाव लड़ा और प्रचंड बहुमत हासिल किया। दिल्ली एमसीडी चुनाव में भाजपा ने पर्वतीय वोटर बाहुल्य वाली सीटों पर धामी को लगाया तो अधिकांश पर उसे जीत हासिल हुई। यह इस बात का भी संकेत है कि पर्वतीय मूल के वोटरों में सीएम धामी की स्वीकार्यता लगातार बढ़ रही है।
भाजपा ने 2021 में धामी को अचानक मुख्यमंत्री बनाकर सभी को चौंका दिया था। इसके बाद 2022 का विस चुनाव भी धामी के चेहरे पर लड़ा गया। तमाम मिथकों को झुठलाते हुए भाजपा ने बहुमत से 12 सीटें ज्यादा हासिल कीं। अप्रत्याशित तौर पर धामी अपना चुनाव हार गए तो कई विधायकों ने अपनी सीट छोड़ने की पेशकश कर दी। भाजपा ने इस बार भी धामी को लंबी रेस का घोड़ा मानकर सत्ता की कमान सौंप दी। धामी ने चंपावत से चुनाव लड़ा और उत्तराखंड की अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की।
बतौर मुख्यमंत्री धामी के की कार्यशैली की खुद प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी सार्वजनिक रूप से तारीफ कर चुके हैं। दिल्ली नगर निगम के चुनाव भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल थे। ऐसे में हाईकमान ने धामी को दिल्ली की उन सीटों पर प्रचार का जिम्मा दिया, जहां पर्वतीय मूल के वोटरों की खासी संख्या थी। कई सीटों पर तो ये निर्णायक भूमिका में थे। सीएम धामी ने कई सीटों पर जनसभाओं के साथ ही रोड शो भी किए। नतीजे सामने आए तो धामी के प्रचार वाली अधिकांश सीटों पर भाजपा प्रत्याशी ही विजयी रहे।
चुनावी नतीजों का विश्लेषण करें तो साफ संकेत मिल रहा है कि पर्वतीय वोटरों में युवा सीएम धामी की स्वीकार्यता खासी बढ़ती जा रहा है। 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। उत्तराखंड में लोस की पांच सीटें हैं। इस पर तीनों भाजपा के कब्जे में ही है। 2024 में भाजपा को अपनी सत्ता बहुमत से बरकरार रखने के लिए ज्यादा सीटों की दरकार होगी। ऐसे में उत्तराखंड की सीटों का जिम्मा निश्चित तौर पर सीएम धामी के कंधों पर ही होगा।